मुंबई हादसा: दर्दनाक कहानियां, कोई गया था फूल लेने, कोई…

एलफिन्सटन स्टेशन हादसे की 4 सबसे दर्दनाक कहानियां

मुंबई
देश की आर्थिक राजधानी कहे जाने वाली मुंबई के एलफिन्सटन रेलवे स्टेशन पर भगदड़ के चलते 22 लोगों की मौत से पूरा शहर गमगीन है। सुबह करीब 10:30 बजे के वक्त जब यह हादसा हुआ, तब कोई ऑफिस जाने की तैयारी में था तो कोई घरेलू काम से बाहर निकला था। लेकिन, किसे पता था कि इनमें से 22 लोगों की यह आखिरी यात्रा साबित होगी। ऐसी ही हैं भगदड़ में मारे गए इन 4 लोगों की कहानियां, जो निकले तो कहीं और थे, लेकिन उनके रास्ते में मौत आ गई।

गोलियों की जरूरत नहीं, भगदड़ ने मार डाला

विखरोली में फूल बेचने वाले अंकुश पर्ब की आंखों से आंसू नहीं थम रहे। केईएम हॉस्पिटल के आईसीयू के बाहर खड़े अंकुश बेहद भावुक होकर बताते हैं कि वह हर सुबह दादर के फूल मार्केट से खरीददारी के लिए घर से निकलते थे। लेकिन, शुक्रवार को उन्होंने इस काम के लिए अपने दोनों बेटों को फूल लेने के लिए भेज दिया और इसकी उन्हें बड़ी कीमत चुकानी पड़ी है। रोते हुए अंकुश कहते हैं, 'मेरे 11 साल के बेटे रोहित को इस हादसे ने छीन लिया।' अंकुश के 18 वर्षीय बड़े बेटे आकाश का पैर टूट गया है और आईसीयू वार्ड में भर्ती है। पर्ब ने कहा, 'मेरी पत्नी आकाश के साथ है, लेकिन रोहित के पोस्टमार्टम के लिए भी हमें जाना होगा।'

खतरनाक सफर से बचने को छोड़ना चाहता था मुंबई
बदलापुर के 28 वर्षीय चंदन सिंह मुंबई के लोकल ट्रेन के रिस्की सफर से बचने के लिए मध्य प्रदेश स्थित अपने गांव लौट जाना चाहते थे। वह तो घर नहीं पहुंचे, लेकिन उनकी मौत की दुखद खबर ही घर पहुंची। एलफिन्सटन रोड स्थित एक प्राइवेट फर्म में अकाउंटेंट का काम करने वाले चंदन काफी दिनों से मुंबई छोड़ने का विचार कर रहे थे, लेकिन इस हादसे के चलते वह दुनिया ही छोड़ गए। चंदन अपने पीछे एक पत्नी और दो साल के बच्चे को छोड़ गए हैं। चंदन ने बारिश से बचने के लिए ब्रिज के नीचे शरण ली थी। चंदन का शव लेने के लिए अस्पताल पहुंचे चंदन के चाचा सुभाष सिंह ने कहा, 'मैंने सतना में रहने वाले चंदन के पिता अवधेश को फोन किया है और हादसे की जानकारी दी। इस पर उन्होंने पूछा कि क्या उनका बेटा सुरक्षित है? यह उनके लिए बेहद दर्दनाक था।'

दिव्यांग पिता का एकमात्र सहारा थी बेटी
कल्याण की रहने वाली श्रद्धा वार्पे और उनके दिव्यांग पिता रोज एलफिन्सटन रोड स्थित कामगार कल्याण केंद्र पर काम के लिए साथ ही निकलते थे। शुक्रवार की सुबह दोनों ही साथ निकले थे। 23 वर्षीय श्रद्धा ने साड़ी पहन रखी थी, इसलिए वह लेडिज कंपार्टमेंट में थीं। पिता से उन्होंने कहा था कि वह ट्रेन से उतरने के बाद टिकट काउंटर पर उनका इंतजार करेंगी। लेकिन, 10 मिनट बाद जब पिता ने फोन किया तो रिसीव करने के लिए श्रद्धा इस दुनिया में नहीं थीं। श्रद्धा की मां दिल की मरीज हैं और उन्हें अब तक बेटी के न रहने की खबर नहीं दी गई है।

जानलेवा साबित हुआ बाइक के बदले ट्रेन से जाना
बदकिस्मती शायद इसे ही कहते हैं। ट्रेन के भीड़ भरे सफर से बचने के लिए 18 वर्षीय मयूरेश आमतौर पर दोस्त की बाइक से ही ऑफिस जाता था। लेकिन, भारी बारिश के चलते शुक्रवार को उसने ट्रेन से ही जाने का फैसला लिया। लेकिन, उसे क्या पता था कि एलफिन्सटन रेलवे ब्रिज को पार करना ही उसकी मौत का कारण बनेगा। अपने दोस्तों में जिंदादिली के लिए जाना जाने वाला मयूरेश 5 सदस्यीय परिवार का इकलौता सहारा था।

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