यमुना एक्सप्रेस वे पर थम नहीं हादसे 

नई दिल्‍ली । 165 किमी लंबे देश के सबसे बड़े यमुना एक्‍सप्रेस वे लगातार हो रहे हादसों की वजह से सुर्खियों में है। बीते शुक्रवार को हुए हादसे में आठ लोगों की मौत हो गई थी। ग्रेटर नोएडा इलाके में हुई इस भीषण दुर्घटना में मारे गए लोगों के परिजनों को राज्‍य सरकार ने दो-दो लाख रुपए की आर्थिक सहायता देने की घोषणा की है। दो वाहनों के बीच यह टक्‍कर इतनी जबरदस्‍त थी बस का अगले हिस्‍से के परखच्‍चे उड़ गए। बस जालौन से यात्री लेकर यमुना एक्सप्रेस वे के रास्ते दिल्ली जा रही थी। स्‍लीपर बस में फंसे यात्रियों को बड़ी मुश्किल से निकाला गया। यहां पर सवाल महज मुआवजे के ऐलान का नहीं है, बल्कि इस एक्‍सप्रेस वे पर होने वाले हादसों की वजह को पहचान कर उसको दूर करने का है। 
28 मार्च को जो हादसा इस एक्‍सप्रेस वे पर हुआ वह न तो पहली बार हुआ है और न ही इसकी वजह कोई नई है। लगभग हर माह ही इस एक्‍सप्रेस वे पर हादसे आम बात हो गई है। वर्ष 2017 में सर्दियों के दिनों में इसी मार्ग पर करीब 18 गाडि़यां आपस में टकरा गई थीं। इस एक्‍सप्रेस की शुरुआत से देखा जाए तो यहां पर साल-दर-साल हादसों की संख्‍या में इजाफा हुआ है। जिसको देखते हुए इसको हादसों का ‘एक्‍सप्रेस वे’ कहना गलत नहीं होगा। हजारों करोड़ रुपये की लागत से बने इस एक्‍सप्रेस पर इस तरह के हादसों को रोकने के लिए जो उपाय किए जाने चाहिए थे उनका आज तक भी इंतजार है। 
सितंबर 2018 में यमुना एक्सप्रेस-वे के सफर को सुरक्षित बनाने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने इसकी सुरक्षा ऑडिट करने का आदेश दिया था। यह सुरक्षा ऑडिट ग्रेटर नोएडा के जीरो प्वाइंट से आगरा तक होना था। इसके लिए आइआइटी दिल्ली का चयन किया गया था। इसके ऑडिट का काम पूरा हो गया है और प्राधिकरण को 31 मार्च तक सुप्रीम कोर्ट की सड़क सुरक्षा निगरानी समिति के सामने इसकी रिपोर्ट पेश करनी है। 
आपको बता दें कि प्राधिकरण एक्सप्रेस वे का संचालन कर रही जेपी इंफ्राटेक के जरिए सुरक्षा उपायों को लागू कराएगा। आपको यहां पर ये भी बता दें कि इस एक्‍सप्रेस वे पर हादसों की सबसे बड़ी वजहों में ओवर स्‍पीड (30 फीसदी), दूसरी वजह टायर का अचानक फटना (25 फीसदी), तीसरी वजह ओवर टेकिंग (15 फीसदी), चौथी वजह नींद का आना (10) और पांचवीं वजह बीच रास्‍ते में खड़े वाहन (5 फीसदी) होते हैं।   

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