राज्यों को कितनी वैक्सीन देनी है, इस पर फैसले की आजादी कंपनियों को न मिले; केंद्र खुद ही सारी डोज क्यों नहीं खरीद लेता

नई दिल्ली  ऑक्सीजन और बेड्स की कमी को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को गहरी चिंता जाहिर की। अदालत ने उन शिकायतों के बारे में भी केंद्र को निर्देश दिया, जो लोग सोशल मीडिया पर उठा रहे हैं। अदालत ने कहा कि ऐसी शिकायतों को दबाया न जाए। वैक्सीनेशन को लेकर भी सुप्रीम कोर्ट ने सवाल पूछे और केंद्र सरकार को निर्देश भी दिए।

जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा, 'निजी मैन्युफैक्चरर्स ये तय नहीं करेंगे कि किसे, कितनी वैक्सीन दी जाए। उन्हें इसकी आजादी न दी जाए। केंद्र खुद ही क्यों नहीं सारी वैक्सीन खरीद लेता है, क्योंकि राज्यों को समान रूप से वैक्सीन देने के लिए वो बेहतर पोजिशन पर है।'

कोरोना से जुड़े 6 मुद्दों पर सुप्रीम कोर्ट के सरकार को निर्देश

1. बेड्स की कमी पर: हालात बेहद गंभीर हैं। अब तो डॉक्टर्स और हेल्थकेयर वर्कर्स को भी बेड नहीं मिल रहे हैं। अब होटलों, मंदिरों, चर्चों और दूसरी जगहों को खोल दिया जाए, ताकि इन्हें कोविड सेंटर्स में तब्दील किया जा सके।

2. सोशल मीडिया पर शिकायतों पर: एक नागरिक और एक जज के तौर पर ये मेरे लिए चिंता का विषय है। अगर कोई नागरिक सोशल मीडिया पर अपनी शिकायत रखता है तो हम नहीं चाहते कि इस जानकारी को दबाया जाए। हम तक ये आवाजें आने दीजिए। ये नहीं मान लेना चाहिए कि सोशल मीडिया पर उठाई गई शिकायतें झूठी हैं। किसी नागरिक को बेड या ऑक्सीजन चाहिए और उसे प्रताड़ित होना पड़ता है तो हम इसे अदालत की अवमानना मानेंगे।

3. वैक्सीनेशन पर: वैक्सीनेशन के लिए निरक्षर और ऐसे लोगों के रजिस्ट्रेशन के लिए क्या व्यवस्था है, जिनके पास इंटरनेट नहीं है? 18 से 45 वर्ष के बीच की आबादी का वास्तविक आंकड़ा क्या है? केंद्र कहता है कि 50% वैक्सीन राज्यों को मिलेगी, वैक्सीन मैन्युफैक्चरर्स इस मामले में निष्पक्षता कैसे बरतेंगे? किस राज्य को, कितनी वैक्सीन मिलेगी, ये प्राइवेट वैक्सीन मैन्युफैक्चरर्स नहीं तय करेंगे। उन्हें ये छूट नहीं दी जानी चाहिए। केंद्र को नेशनल इम्यूनाइजेशन मॉडल बनाना चाहिए, क्योंकि गरीब वैक्सीन की कीमत नहीं चुका पाएंगे।

4. दिल्ली को ऑक्सीजन सप्लाई पर: ऑक्सीजन टैंकर्स और सिलेंडर्स की सप्लाई को लेकर क्या कदम उठाए गए हैं? आपको कितनी ऑक्सीजन सप्लाई की उम्मीद है? हमारी चेतना बुरी तरह से हिली हुई है। अगर केंद्र चुपचाप बैठा रहा और तुरंत कोई कदम नहीं उठाया तो हमारे सिर पर 500 मौतों की जवाबदेही होगी। हम केंद्र की आलोचना नहीं कर रहे हैं और न इस पर बात कर रहे हैं कि दिल्ली में ऑक्सीजन की कमी दिल्ली सरकार की अक्षमता की वजह से है। केंद्र को ही जोर लगाना होगा, क्योंकि दिल्ली के लिए आपकी खास जिम्मेदारी बनती है।

5. ऑक्सीजन को लेकर सियासत पर: हम लोगों को ऑक्सीजन सिलेंडर के लिए रोते हुए सुन रहे हैं। दिल्ली की हकीकत यह है कि वहां वाकई में ऑक्सीजन उपलब्ध नहीं है। गुजरात और महाराष्ट्र में भी यही स्थिति है। सरकार बताए कि इस स्थिति में कल से क्या बदलाव होगा? ये वक्त राजनीतिक लड़ाई-झगड़े का नहीं है। कोरोना से बिगड़े हालात संभालने के लिए दिल्ली सरकार केंद्र के साथ सहयोग करे। हमारा संदेश आप अपने हाइएस्ट लेवल तक पहुंचाइए।

6. स्वास्थ्य सेवाओं पर: 70 साल के दौरान हमें जो हेल्थ इन्फ्रास्ट्रक्चर मिला है, वो नाकाफी है। हमारा हेल्थ केयर सेक्टर टूटने की कगार पर आ गया है। अब रिटायर्ड डॉक्टरों और अधिकारियों को दोबारा ड्यूटी पर रखना चाहिए। केंद्र को कोरोना पर की गई तैयारियों के बारे में बताने के लिए पावर पॉइंट प्रेजेंटेशन दिखाने की इजाजत दी जाती है।

CJI के सामने दूसरी याचिका पर सुनवाई, हुए दिलचस्प सवाल-जवाब

सुप्रीम कोर्ट में चीफ जस्टिस एनवी रमन्ना की बेंच के सामने भी कोविड ट्रीटमेंट और दवाइयों को लेकर एक पिटीशन फाइल हुई थी। इस पर अदालत और पिटीशनर सुरेश शॉ के बीच दिलचस्प सवाल-जवाब हुए।

कोर्ट: क्या तुम डॉक्टर हो?
पिटीशनर: नहीं मैं डॉक्टर नहीं हूं।

कोर्ट: कोविड के बारे में आपकी क्या जानकारी है?
पिटीशनर: मैं बेरोजगार हूं।

कोर्ट: ये बेहद हल्की याचिका है, इसे ऐसे आदमी ने दाखिल किया है, जिसे विषय के बारे में कोई जानकारी नहीं है।
याचिकाकर्ता चाहता है कि हम इस बारे में निर्देश दें कि कोविड के लिए कैसे टेस्ट और ट्रीटमेंट हों। हम दाम तय करें। आप बताइए कि हम कितना दाम तय करें?
पिटीशनर: मेरे अकाउंट में केवल एक हजार रुपए हैं।

कोर्ट: हम एक हजार दाम लागू करते हैं। डिसमिस…

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