लिट्टीपाड़ा में किसके हाथ लगेगी जीत की बाजी?

झारखंड के पाकुड़ में लिट्टीपाड़ा विधानसभा उपचुनाव की तारीख नजदीक आते ही सियासी दलों के प्रचार में तेजी आने लगी है. ये नेता बढ़-चढ़कर दावे करने से भी नहीं चूक रहे हैं.

चुनाव प्रचार के दौरान रघुवर सरकार में मंत्री राजपलीवार इलाके में विकास ना होने का मुद्दा जोर-शोर से उठा रहे हैं. भाजपा के मंत्रियों ने लिटटीपाड़ा में विकास नहीं होने का आरोप सीधा झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) पर लगाया. इतना ही नहीं भाजपा ने झामुमो पर महिलाओं को अपमान करने का आरोप लगाते हुए इसे चुनावी मुद्दा बनाया है. साथ ही एक ही पार्टी और एक ही परिवार का सत्ता होने को बीजेपी ने चुनावी मसला बनाया है.

इधर, झामुमो ने भाजपा के मंत्री का लिटटीपाड़ा उपचुनाव में प्रचार करने को बेकार बताया है. पार्टी का कहना है कि यहां मंत्री आदिवासी क्षेत्र में जाकर आदिवासियों पर प्रभाव नहीं डाल सकते है, क्योंकि उसे आदिवासी भाषा नहीं आती है.

ऐसे में झामुमो गांव-गांव में जाकर लोगों को गुरुजी (शिबू सोरेन) और आदिवासी भाषा के मसले पर ग्रामीणों को अपने पक्ष में करने का प्रयास में जुट गई है.

इसके अलावा, इस उपचुनाव में झारखंड विकास मोर्चा के सुप्रीमो बाबुलाल मरांडी भी लिटटीपाड़ा में अपना प्रभाव छोड़ने को बेताब हैं. लिटटीपाड़ा में बैठक कर मरांडी ने चुनाव जीतने की रणनीति बनाई है. उन्होंने भाजपा और झामुमो को एक ही सिक्के का दो पहलू बताया है.

गौरतलब है कि लिट्टीपाड़ा सीट पर 9 अप्रैल को वोटिंग होनी है. 13 अप्रैल को वोटों की गिनती होगी. झारखंड मुक्ति मोर्चा के विधायक अनिल मुर्मू की मौत के बाद यह सीट खाली हो गई थी.

लिट्टीपाड़ा सीट झामुमो की गढ़ मानी जाती है. पिछले कई दशकों से इस सीट पर झामुमो की पैठ है. अनिल मुर्मू से पहले इस सीट से लंबे समय तक साइमन मरांडी विधायक रहे हैं.

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