वसुंधरा राजे की देवदर्शन यात्रा पर कटारिया ने उठाए सवाल

जयपुर। पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे की दक्षिण राजस्थान के मेवाड़ क्षेत्र के 6 जिलों की देवदर्शन यात्रा समाप्त जरूर हो गई, लेकिन पार्टी के अंदर बेचैनी देखने को मिली। हाल ही में हुए विधानसभा चुनाव में बीजेपी को करारी शिकस्त के बाद नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया ने वसुंधरा पर आरोप लगाया था कि उन्होंने उपचुनाव में कोई सक्रियता नहीं दिखाई। अब फिर से कटारिया ने वसुंधरा की यात्रा पर सवाल उठाए हैं। कटारिया ने कहा कि जिन घरों में वसुंधरा राजे गईं, वहां कई नेताओं के निधन को साल भर हो गया है। इतने लंबे अरसे बाद किसी के घर पर संवेदना जताने जाना लोगों को अच्छा नहीं लगता। हालांकि कटारिया ने देवदर्शन को तो सही करार दिया। दोनों नेताओं के बीच आंकड़ा छत्तीस का है। अब वे विपक्ष के निशाने पर रहते थे।
  विपक्षी नेता कहते हैं कि कटारिया में किसी थानेदार का तबादला कराने की भी ताकत नहीं है। एक बार मेवाड़ में कटारिया ने ऐसी ही यात्रा निकालने की योजना बनाई थी, मगर वसुंधरा राजे के दबाव के कारण कटारिया यात्रा नहीं निकाल पाये। अब जब वसुंधरा राजे ने देवदर्शन यात्रा का आगाज मेवाड़ की धरती से किया तो कटारिया का गुस्सा लाजमी था। कटारिया अपने मन की बात पर जुबां पर ले ही आये। बताते हैं कि इस यात्रा के लिए न तो वसुंधरा राजे ने कटारिया को फोन किया और न ही किसी तरह का उनसे संपर्क साधा गया। राजनीति में जयकारे, जुलूस और रैलियां नेताओं की ताकत मानी जाती है। जहां भीड़ उमड़ जाये, समझिये नेता की राजनीति जिंदा है। वसुंधरा राजे के पास ये ताकत है, जिसका लोहा वो मेवाड़ से लेकर गोड़वाड और मेरवाड़ा तक मनवा रही हैं। वो चाहे लाख मना करें कि यात्रा का मकसद धार्मिक है, मगर जो दिखाई पड़ रहा है, उसका मकसद पूरा राजनीतिक है। दरअसल, राजे 2023 की तैयारी में जुट गई हैं कि पार्टी उन्हें फिर सीएम का चेहरा बनाये। इसके लिए वो और उनके समर्थक अब ज्यादा इंतजार करने के मूड में नहीं हैं। राजे की यात्रा से उनके चाहने वाले खुश हैं, तो विरोधी परेशान हैं।

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