वामपंथी विचारकों की गिरफ्तारी पर अरुंधति बोलीं-हे ईश्वर! मुझे मेरा देश लौटा दो

नई दिल्ली, भीमा कोरेगांव मामले में वामपंथी विचारकों की गिरफ्तारी के विरोध में देश के जाने माने बुद्धिजीवियों ने दिल्ली के प्रेस क्लब में एक साझा प्रेस कांफ्रेंस में मोदी सरकार की निंदा की. इसमें लेखिका अरुंधति रॉय ने कहा कि एक समय था जब बांटो और राज करो की नीति चलती थी, लेकिन इस सरकार की नीति गुमराह करो और राज करो की है.

लेखिका अरुंधति रॉय ने मोदी सरकार की गिरती लोकप्रियता का जिक्र करते हुए कहा कि अभी हाल ही में 'मूड ऑफ द नेशन' सर्वे में देखने को मिला कि सरकार की साख गिर रही है. सरकार ने विजय माल्या, नीरव मोदी और मेहुल चोकसी जैसों को देश से भाग जाने दिया और जनता की जेब काटी. उन्होंने कहा कि सरकार अपनी विफलताओं से ध्यान हटाने के लिए समाजिक कार्यकर्ताओं की गिरफ्तारी कर रही है.

अरुंधति रॉय ने वामपंथी विचारकों की गिरफ्तारी का विरोध करते हुए कहा कि पहले आदिवासियों को नक्सल कहा जा रहा था, अब दलितों को नक्सल कहा जा रहा है. रॉय ने कहा कि यह भारतीय संविधान के तख्तापलट जैसा है, जो आपातकाल से भी ज्यादा खतरनाक हो सकता है. हे ईश्वर! मुझे मेरा देश लौटा दो.

उन्होंने कहा कि, मानवाधिकार कार्यकर्ताओं और वकीलों को गिरफ्तार करके उन लाखों लोगों को चुप कराया जा रहा है जो ऐसे लोगों की तरफ उम्मीद से देखते हैं.

बता दें कि भीमा कोरेगांव हिंसा से जुड़े मामले में देश के कई हिस्सों से पुणे पुलिस और सुरक्षा एजेंसियों ने छापेमारी के बाद वामपंथी विचारक-गौतम नवलखा, वरवरा राव, सुधा भारद्वाज, अरुण फरेरा और वरनोन गोंजालवेस को गिरफ्तार किया था

इन गिरफ्तारियों पर रोक लगाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को कड़ी फटकार लगाते हुए कहा कि असहमति लोकतंत्र का सेफ्टी वॉल्व है. यदि असहमति का सेफ्टी वॉल्व हटा तो लोकतंत्र का प्रेशर कुकर फट जाएगा.



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