विकास के नाम पर पर्यावरण की अनदेखी मानव विकास के लिये घातक

दुनिया में पिछले एक दशक में जिस तेज गति से हर क्षेत्र में विकास हुआ  है, वह पिछले 100 वर्षों में भी देखने को नहीं मिला। विकास की तेज गति ने दुनिया के बिगड़ते पर्यावरण की ओर लोगों का ध्यान खींचा है। पर्यावरण संरक्षण की अनदेखी दुनिया के सभी देशों के लिये चुनौती बन गयी है। इस मसले पर दुनिया के सभी देश एक मंच पर इकट्ठा होने को मजबूर हुए हैं। भारतीय प्रबंध संस्थान, इंदौर के निदेशक प्रो. हिमांशु राय ने "गांधी दर्शन के परिप्रेक्ष्य में सतत विकास, पर्यावरण संरक्षण एवं विश्व शांति'' विषय पर एप्को में व्याख्यान देते हुए यह बात कही।

प्रो. हिमांशु राय ने कहा कि महात्मा गांधी स्वतंत्रता आंदोलन और उस दौर के महान नायक थे। उन्होंने देश को आजादी दिलाने के साथ समाज को एक करने का महत्वपूर्ण कार्य किया। प्रो. राय ने कहा कि समाज में नायक वही है, जिसका बड़ी संख्या में लोग अनुसरण करें। भारतीय आध्यात्म दर्शन का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि भगवान का अर्द्ध-नारीश्वर रूप स्त्री और पुरुष की समानता की ओर इंगित करता है। इन दोनों के योगदान से ही सही मायनों में विकास हो सकता है।

गांधी दर्शन की चर्चा करते हुए प्रो. राय ने कहा कि महात्मा गांधी मानते थे कि विकास में समाज के प्रत्येक व्यक्ति का सहयोग जरूरी है। वे कहते थे कि मेरा जीवन ही मेरा संदेश है, क्योंकि उनकी कथनी और करनी में कोई अंतर नहीं था। उन्होंने कहा कि पर्यावरण संरक्षण के लिये प्रत्येक व्यक्ति की भागीदारी जरूरी है। जरूरत इस बात की है कि प्रकृति से हमें जितना मिल रहा है, हम प्रकृति को कितना लौटा रहे हैं, इसका मूल्यांकन जरूर करें। प्रमुख सचिव पर्यावरण श्री पंकज अग्रवाल ने भी संबोधन दिया।
 

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