विवाद : कलाम की मूर्ति के हाथ में वीणा और बगल में गीता क्यों ?

 

चेन्नै .  भारत के पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम की याद में बनाए गए कलाम मेमोरियल में कलाम की मूर्ति के सामने भगवद्गीता के श्लोक उत्कीर्ण कराने पर विवाद शुरू हो गया है। पीएम मोदी ने गुरुवार को कलाम की दूसरी पुण्यतिथि पर रामेश्वरम में कलाम मेमोरियल का उद्घाटन किया था।

डीएमके समेत कई राजनीतिक पार्टियों ने मेमोरियल में वीणा बजाते हुए कलाम की मूर्ति और उसके पास भगवद्गीता के श्लोक लिखवाए जाने पर विरोध दर्ज कराया है। कलाम के परिजन भी इससे नाखुश हैं। कलाम के परिजनों का कहना है कि कलाम की प्रतिमा के पास सभी धर्मों के महान ग्रन्थों के अंश होने चाहिए।

डीएमके नेता स्टालिन ने एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा, कलाम की प्रतिमा के पास भगवद्गीता की मौजूदगी सांप्रदायिकता थोपने की एक कोशिश है। स्टालिन ने सवाल किया कि वहां तिरुक्करल (तमिल का महान ग्रन्थ) के अंश क्यों नहीं हैं? वीसीके नेता तिरुमवलन ने कहा, 'कलाम की प्रतिमा के पास भगवद्गीता को जगह देकर कहीं कलाम को हिंदू धर्म के महान प्रेमी के रूप में पेश करने की मंशा तो नहीं है? इससे मुस्लिमों का भी अपमान हुआ है, इसे तुरंत हटाया जाना चाहिए।'

वीणा लिए हुए कलाम की मूर्ति और उसके पास भगवद्गीता की मौजूदगी पर सवाल खड़े करते हुए एमडीएमके नेता वायको ने पूछा, 'क्या भगवद्गीता तिरुक्करल से ज्यादा महान ग्रन्थ है? कलाम ने ग्रीस की संसद में संबोधन के दौरान तिरुक्करल से ही पंक्तियां उद्धरित की थीं। उन्होंने इस ग्रन्थ से ही 'हर देश मेरा देश है और सब मेरे परिजन हैं' पंक्तियों को अपने संबोधन में इस्तेमाल किया था। हमें अच्छे से पता है कि बीजेपी इन तरीकों से क्या करना चाह रही है?'

उन्होंने कहा, 'कोई कितनी भी कोशिश कर ले लेकिन द्रविड़ आंदोलन की छाप लोगों के दिमाग से नहीं मिटा सकता। वहीं, एक अन्य नेता धहलान बकवी ने भी सरकार और डीआरडीओ से कलाम की प्रतिमा से भगवद्गीता वाले भाग को हटाने की मां की है। उन्होंने कहा, 'ऐसा लगता है जैसे कलाम संघ परिवार के समर्थक रहे हों?' उन्होंने कहा कि कलाम सभी धर्मों के प्रति समान भाव रखते थे।

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