शिर्डी के सांई बाबा ने पीड़ित मानवता की सेवा के लिए अनेक काम किए, जो आज भी हमारे लिए प्रेरणापुंज – 

इन्दौर । माता-पिता द्वारा छोड़ी गई सम्पदा का भोग करने में हमें कोई संकोच नहीं होता, लेकिन विडंबना है कि उनके मोक्ष की कामना के लिए तर्पण या और कोई अनुष्ठान करने के लिए हमारे पास समय नहीं है। तर्पण भारतीय संस्कृति की प्राचीन एवं शास्त्रोक्त परंपरा है। शिर्डी के सांई बाबा ने आज दशमी तिथि पर ही समाधि ली थी। हर मनुष्य के जीवन में माता-पिता, देव और ऋषि सहित चार तरह के ऋण होते हैं। सांई बाबा देवतुल्य भी हैं और गुरू भी, उन्होंने पीड़ित मानवता की सेवा के लिए अनेक ऐसे काम किए हैं जो आज भी हम सबके लिए प्रेरणापुंज हैं। उनके प्रति श्रद्धा सुमन अर्पित करना हमारा दायित्व बनता है।
ये विचार हैं भागवताचार्य पं. पवन तिवारी के, जो उन्होंने आज सुबह आनंदा कालोनी में केंद्रीय सांई सेवा समिति के संस्थापक हरि अग्रवाल द्वारा आयोजित तर्पण एवं श्राद्ध कार्यक्रम में सभी सांई भक्तों की ओर से सदगुरू सांई बाबा की तिथि पर श्रद्धा सुमन समर्पित करते हुए व्यक्त किए। पं. तिवारी ने एरोड्रम रोड स्थित सियाराम बाबा मंदिर पर भी सामूहिक तर्पण कार्यक्रम में सांई बाबा की तिथि पर तर्पण एवं श्राद्ध की क्रियाएं संपन्न कराई। पं. तिवारी ने इस अवसर पर सांई बाबा के जीवनकाल में उनके द्वारा हैजा जैसी महामारी के उन्मूलन हेतु किए गए चमत्कारिक अनुष्ठान की याद करते हुए वर्तमान दौर में फैल रही कोरोना महामारी के समूल विनाश के लिए भी सांई भक्तों की ओर से प्रार्थना की।
श्राद्ध पक्ष की एकादशी तिथि रविवार 13 सितंबर को दिव्यात्माओं और साधकों का तर्पण तथा द्वादशी 14 सितंबर को संन्यासियों के श्राद्ध एवं तर्पण का प्रावधान रहेगा। इसी तरह चतुर्दशी 16 सितंबर को दुर्घटना में मृत लोगों के लिए तर्पण एवं श्राद्ध होगा। सर्व पितृ अमावस्या 17 सितंबर को समस्त ज्ञात-अज्ञात दिवंगतों के लिए तर्पण एवं श्राद्ध का अनुष्ठान होगा।

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