शोध के लिए होगा एवरेस्ट में सुराख

मौसम विज्ञानी जल्द ही रिसर्च के लिए हिमालय का रुख करेंगे. जहां वो एवरेस्ट पर मौजूद दुनिया के सबसे ऊंचे ग्लेशियर खुंबु पर सूराख कर मौसम पर शोध करेंगे. शोध करने वाली टीम का नेतृत्व प्रोफेसर ब्रायन हूबार्ड कर रहे हैं. ये टीम 5 हजार मीटर (16,400 फीट) की ऊंचाई पर खुंबु में होने वाले जलवायु परिवर्तन असर की जांच करेंगे.

कहां मौजूद है ग्लेशियर?

एवरेस्ट की चढ़ाई के दौरान पर्वतारोहियों का बेस कैंप इसी खुंबु ग्लेशियर पर मौजूद होता है, जहां ये शोध होगा. खुंबु ग्लेशियर की कुल लंबाई 17 किमी है, जो नेपाल के उत्तर-पश्चिमी इलाके में मौजूद है.

इस ग्लेशियर की सर्वाधिक ऊंचाई 25 हजार फीट है और सबसे कम 16,000 फीट है.

तापमान और पानी  पर होगा रिसर्च

एक बार ड्रिल का काम पूरा हो जाने के बाद विज्ञानी इस ग्लेशियर की आंतरिक संरचना, तापमान और इसमें बहने वाले पानी के प्रवाह की जानकारी हासिल करेंगे.

प्रोफेसर हुबार्ड के मुताबिक इन हालातों में काम करना आसान नहीं है क्योंकि इस दौरान विज्ञानियों को काफी चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा. बीबीसी से बात करते हुए हुबार्ड ने बताया कि "हम नहीं जानते कि इतनी ऊंचाई पर उपकरण कैसे काम करेंगे. इतनी बर्फीली हवा में काम करना कितना कठिन होगा."

1500 किग्रा का सामान एयरलिफ्ट होगा

ड्रिल करने वाली टीम के 1500 किग्रा के उपकरणों को हेलीकॉप्टर के जरिए एयरलिफ्ट किया जाएगा. हेलीकॉप्टर कई चक्कर लगाकर इस काम को अंजाम देंगे. शोध के लिए जाने वाले उपकरणों में 3 होंडा के जेनरेटर होंगे, जो 50% कम ऑक्सीजन वाले माहौल में काम करेंगे. जो एक बेहद चुनौतीपूर्ण काम होगा.

16 अप्रैल रविवार को प्रोफेसर हुबार्ड और उनकी टीम नेपाल होगी. इसके बाद नेपाल के लुकला एयरपोर्ट से 8 दिन की ट्रैकिंग कर शोध वाली जगह तक पहुंचेगी.

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