संत शिरोमणि मोरारी बापू द्वारा भारती एवं ओपी श्रीवास्तव द्वारा रचित ग्रंथ “शब्दमानस” विमोचित 

जबलपुर । रामचरित मानस के मर्मज्ञ संत शिरोमणि परम पूज्य मोरारी बापू ने आयोजित द्वितीय विश्व रामायण कांफ्रेंस में संचालक जनसंपर्क ओपी श्रीवास्तव एवं उनकी धर्मपत्नी श्रीमती भारती श्रीवास्तव द्वारा रचित ग्रंथ "शब्दमानस" का विमोचन किया। 
आयोजित कार्यक्रम में वित्त मंत्री तरूण भनोत, सामाजिक न्याय एवं नि:शक्तजन कल्याण मंत्री लखन घनघोरिया, विधायक विनय सक्सेना, संजय यादव, विधायक अशोक रोहाणी, श्रीमती नंदिनी मरावी, विधायक एवं आयोजन समिति अध्यक्ष अजय विश्नोई, संत दीदी ज्ञानेश्वरी, स्वामी श्यामदास, स्वामी अखिलेश्वरानंद, आयोजन समिति के सचिव डॉ अखिलेश गुमास्ता सहित बड़ी संख्या में श्रद्धालु मौजूद थे। 
"शब्दमानस" ग्रंथ के रचनाकार श्री श्रीवास्तव ने बताया कि यह ग्रंथ श्रीरामचरित मानस के सभी शब्दों के अर्थ और संदर्भ पर आधारित है। "शब्दमानस" ग्रंथ शब्दों का मानसरोवर है। इसमें शब्द भी वह हैं जिनसे गोस्वामी तुलसीदास जी ने शिवजी के अंत:करण में रची गई “श्री रामचरित मानस” को लिपिबद्ध किया। इन शब्दों को वर्णमाला के क्रम से क्रमबद्ध करके, उनके समस्त संदर्भों को एक साथ रखकर, उनके विभिन्न अर्थों को लिपिबद्ध करके “शब्द मानस” की रचना की गयी है । इस ग्रंथ में श्री रामचरित मानस के सभी 14 हजार 611 शब्दों के अर्थ, संदर्भ तथा उनसे संबंधित सम्पूर्ण चौपाई, दोहा, सोरठा, श्लोक, छंद एक ही स्थान पर उपलब्ध हैं । यह ग्रंथ श्रद्धालु, भक्त, शब्द साधक, विद्वान, भाषाविद, शोधार्थी, प्रवचनकर्ता, आलोचक सभी के लिये बेहद उपयोगी हैं।
संत शिरोमणि मोरारी बापू ने कहा कि रामायण की प्रेरणा और शिक्षा को जन-जन तक पहुंचाने में मध्यप्रदेश की कमलनाथ सरकार विशेष कार्य कर रही है। यह बात अत्यंत प्रशंसनीय और आनंद देने वाली है। शासन द्वारा रामपथ का निर्माण कार्य कराया जाना भी सराहनीय है। यह भी खुशी की बात है कि जबलपुर में आयोजित होने वाले नर्मदा कुंभ में राज्य शासन का सक्रिय सहयोग है।  
संत शिरोमणि मोरारी बापू ने कहा कि श्री रामचरित मानस एक वैश्विक ग्रंथ है। भगवान राम वैश्विक हैं। राम के चरित्र को किसी फ्रेम में कैद कर नहीं रखा जा सकता। रामायण में ब्रम्हाण्ड के प्रत्येक चर-अचर प्राणी के कल्याण और उन्नति की बात कही गई है। रामायण की शिक्षाएं सर्व के लिए और दूसरों के कल्याण के लिए है। मानस में लोकमत और साधुभक्त की प्रतिष्ठा है। भारत के लोकतंत्र की सराहना भी पूरे विश्व में है।  रामकथा हर व्यक्ति की है जो रामकथा का वाचन करे वह उसी की है। जाति-धर्म, सम्प्रदाय का कोई भेदभाव नहीं है। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को भी रामायण बहुत प्रिय थी। उन्होंने लिखा है कि भयंकर संकट के समयकाल में उन्हें राम नाम से ही बल मिला। वित्त मंत्री तरूण भनोत ने 24 फरवरी से शुरू होने वाले नर्मदा कुंभ में शामिल होने का आमंत्रण संत शिरोमणि मोरारी बापू को दिया।

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