सड़क पर जीने को मजबूर पूर्व सैन्य अधिकारी की पीट-पीटकर हत्या

पुणे  महाराष्ट्र के पुणे जिले में सेना के एक पूर्व कैप्टन का शव बरामद होने से सनसनी फैल गई। पुलिस के मुताबिक संदिग्ध परीस्थिति में पूर्व कैप्टन का शव पुणे के कैन्ट इलाके में बरामद हुआ, जिसके बाद पुलिस ने इसे कब्जे में लेकर मामले की जांच कर रही है।

पुलिस ने बताया कि दो अज्ञात लोगों द्वारा पूर्व सैन्य अधिकारी की पीट पीटकर हत्या करने के बाद शव को कैन्ट इलाके में छोड़ दिया गया था। मृत पूर्व सैन्य अधिकारी की पहचान 67 वर्षीय रवींद्र बाली के रूप में हुई है जो कि पुणे कैंट के इलाके में पिछले कई दिनों से अपना जीवन यापन कर रहे थे। पुलिस के मुताबिक कैन्ट इलाके के एक बंगले में संतरी की ड्यूटी करने वाले एक शख्स ने बाली के साथ कुछ लोगों को मारपीट करते देखा था जिसके बाद उसने इसकी जानकारी पुलिस को दी थी। 


पुलिस अधिकारियों ने बताया कि शुरुआती जांच के अनुसार एक चिकित्सक बाली को हर महीने जीवन यापन के लिए 2 हजार रुपये दिया करते थे। अधिकारियों ने बताया कि उक्त चिकित्सक की तलाश कर यह जानने की कोशिश की जा रही है कि क्या उन्होंने पिछले कुछ दिनों में रवींद्र बाली को पैसे दिए थे क्योंकि हमें शक है कि बाली की हत्या चोरी के उद्देश्य से की गई होगी। पुलिस के मुताबिक बाली के रिश्तेदारों और मोहल्ले के लोगों से उनकी हत्या के संबंध में पूछताछ की जा रही है। पुलिस के मुताबिक बाली की मौत सिर में गंभीर रूप से चोट लगने के कारण हुई है और माना जा रहा है कि सीमेंट की किसी ईंट से उनकी हत्या की गई है। 


नैशनल डिफेंस अकादमी के छात्र रहे थे बाली 

पुलिस की जांच में रवींद्र बाली के पास मिले सामानों से उनके कुछ रिश्तेदारों का भी पता चला जिनसे बातचीत के बाद इस बात की पुष्टि हुई कि बाली सेना के एक पूर्व अधिकारी हैं जो कि नैशनल डिफेंस अकादमी के छात्र रह चुके हैं। हालांकि मौत की खबर के बाद भी बाली के किसी भी रिश्तेदार ने उनके शव को लेने के लिए पुणे आने की बात स्वीकार नहीं की। बाली की अंतिम पोस्टिंग के संबंध में जानकारी हासिल करने के लिए पुलिस ने सेना की दक्षिणी कमान को पत्र लिखकर इस संबंध में जानकारी मांगी है, दूसरी ओर एनडीए ने उनके अकादमी पूर्व छात्र होने की बात स्वीकार की है। 


1970 में सेना में कमीशन किए गए थे बाली 

एनडीए के दिनों में बाली के साथ रह चुके सेना के एक पूर्व अधिकारी ने बताया कि उन्होंने साल 1970 के जून महीने में भारतीय सेना की नौकरी शुरू की थी। एक अच्छे परिवार से ताल्लुक रखने वाले रवींद्र बाली सेना की कॉर्प्स ऑफ इलैक्ट्रॉनिक्स में कमीशन किए गए थे जिसके बाद उन्हें कैप्टन रैंक तक प्रमोशन भी दिया गया। 


साथियों ने की मदद की कोशिश तो कर दिया इंकार 

बाली के साथी पूर्व सैन्य अधिकारी ने कहा कि उन्हें जानकारी मिली थी कि रवींद्र बाली अपनी पत्नी और बेटी के कारण मानसिक रूप से परेशान थे और काफी दिनों से बदहाल स्थिति में रह रहे थे। अधिकारी ने बताया कि एनडीए के पूर्व छात्र संगठन ने कुछ साल पहले बाली को कुछ मदद देने की पेशकश की थी, साथ ही कुछ सैन्य अधिकारी उन्हें अपने घर भी ले जाना चाहते थे लेकिन बाली इन सब के लिए तैयार ना हुए। 


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