सरकारी राशन को लेकर 2 लाख परिवारों की उम्मीदों पर फिरा पानी

जयपुर: प्रदेश के लगभग दो लाख परिवारों की सरकारी राशन की उम्मीद जिम्मेदारों की लापरवाही में उलझी हुई है. 6 महीने से राशन की उम्मीद में ऐसे परिवार सरकारी कार्यालयों में चक्कर लगाने को मजबूर हैं, लेकिन सरकारी विभागों की नींद नहीं टूट रही है. प्रदेश में सत्ता परिवर्तन के बाद 4 लाख 36 हजार 508 लोगों ने आवेदन किया, लेकिन एसडीएम कार्यालय चुनाव सहित अन्य तर्क देकर महीनों तक इन आवेदनों को दबाए रहे. आवेदकों के प्रकरणों का समय पर निस्तारण नहीं होने के कारण ये आंकड़ा लगातार बढता जा रहा है.

प्रदेश में 1 लाख 91 हजार से अधिक आवेदन राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा योजना में चयन का इंतजार कर रहे हैं. प्रदेश में सत्ता परिवर्तन के साथ ही खाद्य सुरक्षा योजना के तहत पात्र व्यक्ति को उसके हक का निवाला देने की बड़े-बड़े दावे किए गए. अपात्र व्यक्तियों को खाद्य सुरक्षा योजना से बाहर करने और पात्र व्यक्तियों के नाम जोड़ने को लेकर मीटिंग का दौर भी चला. हैरानी की बात है कि सरकार की 100 दिवसीय कार्ययोजना के तहत खाद्य सुरक्षा योजना में एक भी आवेदन पेंडिंग नहीं रखने की हिदायत दी, लेकिन जिला प्रशासन के साथ रसद विभाग के अधिकारी खाद्य सुरक्षा योजना में कुण्डली मारे बैठे हैं.

वहीं विभाग के कर्मचारी काम तो कर रहे हैं, लेकिन गति इतनी धीमी है कि लोगों को योजना का लाभ नहीं मिल रहा है. आवेदकों को पहले विधानसभा चुनाव फिर लोकसभा चुनाव की आचार संहिता के नाम पर अफसर टालमटोल करते रहे. आचार संहिता हटने के बाद भी पेंडिंग प्रकरणों का निस्तारण नहीं होने से आवेदकों को परेशानी हो रही है. अब सरकार का दावा है कि 4 लाख में से दो लाख 57 हजार 600 खाद्य सुरक्षा के आवेदनों का निपटारा कर दिया है. पीडि़त परिवारों का कहना है कि जिम्मेदारों ने 60 फीसदी से अधिक आवेदनों को खारिज कर दिया. अभी भी प्रदेश में एक लाख 91 हजार 61 आवेदन लंबित है.ऐसे में ये योजना से नहीं जुड़ पाए. जबकि इस योजना में जुडऩे के बाद ही पात्र व्यक्ति को स्वास्थ्य बीमा योजना का लाभ मिलता है, लेकिन पात्र व्यक्ति को किसी भी योजना का लाभ नहीं मिल रहा है. इस कारण लोगों में सरकार के खिलाफ आक्रोश बढ़ता जा रहा है

आठ महीने से लगा रहे हैं चक्कर
खबर के मुताबिक रामनिवास ने पिछले साल उपखंड अधिकारी, जिला रसद अधिकारी कार्यालय में खाद्य सुरक्षा योजना में आवेदन किया. लेकिन अभी तक भाग ने आवेदन का निस्तारण नहीं किया है. पीडि़त परिवार का कहना है कि कलक्टर को भी शिकायत दर्ज करा दी.

बिना जांच के रद्द करने के आरोप
गोपाल व्यास ने दिसम्बर महीने में आवेदन किया. पीडि़त परिवार की मासिक तीन हजार से भी कम है, लेकिन अभी तक सुरेश के आवेदन का निस्तारण नहीं हुआ है. दूसरी तरफ कई परिवार ऐसे भी है जिनका खाद्य सुरक्षा योजना से नाम कट गया. लोगों का कहना है कि विभाग अब अपनी गलतियों को भी ठीक करने के नाम पर टरका रहा है.

गुढ़ा पंचायत के रोजड़ी गांव के बीपीएल परिवार आवास व खाद्य सुरक्षा योजना में नाम जुड़वाने के लिए 3 साल से सरकारी कार्यालयों के चक्कर लगा रहे हैं, लेकिन समस्या का समाधान नहीं हो रहा है. ग्रामीण रामचंद्र नाथ का कहना है की 20 साल से गुढ़ा पंचायत के रोजड़ी गांव में रहते हैं. खाद्य सुरक्षा योजना में नाम जुड़वाने के लिए वर्ष 2017 से अब तक 5 बार कलेक्टर व 5 बार उपखंड अधिकारी, विधायक को ज्ञापन दे चुके हैं.
 

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