सिर्फ नंबर बनकर रह गए 32 करोड़ आधार कार्ड

आपके पास आधार कार्ड है और आपने बैंक खाते से उसे लिंक भी करवा दिया है,फिर भी आपको सबसिडी नियमित नहीं मिल रही है। थंब इंप्रेशन से बैंक खाता खोलने, नई सिम मिलने में भी समस्या आ रही है तो समझ जाइए कि आपका आधार कार्ड सिर्फ एक नंबर बनकर रह गया है।

ऐसा सिर्फ आपके साथ नहीं बल्कि देश के 30 करोड़ से अधिक आधार कार्ड धारकों के साथ हो रहा है। यह खुद यूआईडीएआई (भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण) ने माना है। गलती आधार कार्ड बनाते समय डॉटा एंट्री ऑपरेटरों ने की और खामियाजा 30 फीसदी आधार कार्ड धारकों को उठाना पड़ रहा है। कारण है कि आधार पंजीयन करते समय ऑपरेटरों ने डॉटा शेयरिंग ऑप्शन ओेके नहीं किया। इससे आपका डाटा लॉक रहता है और कंपनियां आपको लाभ नहीं दे पाती।

कटनी के अभिषेक मिश्रा द्वारा लगाई गई आरटीआई में खुद यूआईडीएआई ने माना कि देश में बने 108 करोड़ आधार कार्ड में से 30 फीसदी डी-एक्टीवेट हैं। इसका कारण है कि इनमें डाटा शेयरिंग की अनुमति ही नहीं ली गई है। इससे कार्ड धारक का डेमोग्राफिक (नाम, पता, उम्र) और बायोग्राफिक(आंख के रेटीना, अंगुलियों के इंप्रेशन) डाटा लॉक रहता है। आरटीआई में यह जानकारी प्राधिकरण के उप निदेशक अरूण सिंह रावत (ई एंड यू विभाग) व रमेश कुमार (उप निदेशक एवं केंद्रीय जनसूचना अधिकारी) ने दी है।

36 ऑपरेटरों को किया ब्लैक लिस्ट

14 फरवरी 2017 तक देश में 108 करोड़ आधार कार्ड जारी किए जा चुके हैं लेकिन 13 करोड़ से ज्यादा आधार पंजीयन को निरस्त किया जा चुका है। इसका कारण है कि 6.5 करोड़ पंजीयन दो-दो बार हुए थे वहीं करीब इतने में ही पंजीयन करते समय टेक्नीकल इरर आई थी। टेक्नीकल इरर में डेमोग्राफिक या बायोग्राफिक शामिल हैं। इसलिए इन पंजीयनों को निरस्त कर दिया गया है। वैरीफिकेशन में गलती, गलत डाटा फ ीडिंग सहित अन्य गलतियां करने के कारण ही यूआईडीएआई ने 36 हजार ऑपरेटरों को ब्लैक लिस्ट भी कर दिया है। उन पर 6.5 करोड़ रुपए का जुर्माना भी लगाया गया है।

देश की जनसंख्या 125 करोड़ (2011 के अनुसार)

आधार कार्ड बने 108 करोड़ (14 फरवरी 2017 तक)

डी-एक्टीवेट 30 फीसदी (32.4 करोड़)

पंजीयन निरस्त 13 करोड़

ऑपरेटर ब्लैक लिस्टेड हुए36 हजार

ऑपरेटरों पर जुर्माना6.5 करोड़ (150 रुपए प्रतिकार्ड)

आयकर रिटर्न भी जमा नहीं होगा

डाटा शेयरिंग होने या न होने की जानकारी आधार केंद्र पर ही मिल सकेगी। वहां अपना पहचान पत्र और आधार नंबर देकर मामूली शुल्क (100 रुपए से भी कम) में डाटा शेयरिंग ऑप्शन को अनलॉक करवा सकते हैं। इसमें 24 घंटे से लेकर 1 महीने तक का समय लग सकता है। यह इसलिए भी जरूरी है कि अब पेन कार्ड, आयकर रिटर्न जैसी सेवाओं में आधार लिंक कराना जरूरी हो गया है। यदि अनलॉक नहीं हुआ तो आयकर रिटर्न भी जमा होने में दिक्कत आ सकती है।

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