सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला- नाबालिग पत्नी से शारीरिक संबंध रेप की श्रेणी में

नाबालिग पत्नी से शारीरिक संबंधों के मामले में सुनवाई करते बुधवार (11 अक्टूबर) को सुप्रीम कोर्ट ने ऐतिहासिक फैसला दिया है। शीर्ष अदालत ने अपने फैसले में कहा कि अगर पत्नी की उम्र 18 साल से कम है तो उससे बनाए गए शारीरिक संबंध रेप की श्रेणी में आएंगे।

सुप्रीम कोर्ट के आज के फैसले से पहले तक बलात्कार कानून का सेक्शन 375 उन मर्दों को बचाता रहा है जो 18 साल से कम उम्र की पत्नी से संबंध बनाते थे। अब सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि सेक्शन के तहत पति को मिलने वाली सुरक्षा संविधान और नाबालिग पत्नी के मौलिक अधिकारों का हनन है।

नेशनल फैमली हेल्थ सर्वे की रिपोर्ट के मुताबिक, 18 से 29 साल की 46 प्रतिशत महिलाओं की शादी 18 साल की उम्र से पहले हो गई थी। देश में इस वक्त 2.3 करोड़ 'बालिका वधु' हैं।

सुप्रीम कोर्ट में 15 से 18 साल की पत्नी से संबंध बनाने को दुष्कर्म घोषित करने की मांग की गई थी। तब सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि  सती प्रथा भी सदियों से चली आ रही थी, लेकिन उसे भी खत्म किया गया, जरूरी नहीं कि जो प्रथा सदियों से चली आ रही हो वो सही हो।

सुनवाई में केंद्र सरकार ने नाबालिग से विवाह के आधार पर शारीरिक संबंध को दुष्कर्म की श्रेणी में रखने की मांग को गलत बताया था। सरकार ने कहा था कि लड़की की शादी की उम्र अभी 18 साल है और बाल विवाह गैर कानूनी है लेकिन समाज की सच्चाई यह है कि देश में सामाजिक, आर्थिक व शैक्षिक विकास होने के बावजूद आज बाल विवाह हो रहें हैं। हालांकि, कोर्ट के कहने पर केंद्र सरकार ने कहा था कि इसपर संसद में विचार किया जाएगा।

इससे पहले बाल विवाह पर भी सुनवाई हुई थी, उसपर कोर्ट ने कहा था कि कानून में बाल विवाह अपराध है फिर भी लोग बाल विवाह करते हैं। कोर्ट ने कहा था कि बाल विवाह शादी नहीं, बल्कि मिराज यानी मृगतृष्णा है।

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