सुप्रीम कोर्ट में चीफ जस्टिस और वकील के बीच जमकर हुई जुबानी जंग

सुप्रीम कोर्ट में बृहस्पतिवार को कर्नाटक हाई कोर्ट के जस्टिस जयंत पटेल को इलाहाबाद हाई कोर्ट भेजने के कॉलेजियम के फैसले से जुड़े मामले की सुनवाई को लेकर चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की बेंच और एक वकील के बीच खूब जुबानी जंग चली। 

वकील इस मामले की फौरन सुनवाई की मांग कर रहे थे लेकिन बेंच ने उन्हें ऐसा करने से यह कहते हुए रोक दिया कि पिछले महीने ही यह नियम बन गया है कि सिर्फ एडवोकेट्स-ऑन-रिकार्ड्स (एओआर) ही बगैर बारी के सुनवाई की मांग कर सकते हैं।

जस्टिस ए एम खानविलकर जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ और चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की खंडपीठ ने वकील मैथ्यूज जे नेदुम्परा से कहा कि आप मामले की तुरंत सुनवाई की मांग नहीं कर सकते। आप एडवोकेट्स-ऑन-रिकार्ड्स नहीं हैं। इस पर वकील ने कहा कि उनके पास कोई एओआर नहीं है। उन्होंने कहा कि इससे पहले भी कोई एओआर कलकत्ता हाई कोर्ट के जज सीएस कर्नन के मामले में उपस्थित नहीं हुआ था। जस्टिस कर्नन को सुप्रीम कोर्ट ने अवमानना के मामले में छह महीने के लिए जेल भेज दिया था। 

इस पर बेंच ने कहा कि उस समय यह नियम (सिर्फ एओआर की ओर से सुनवाई की मांग) नहीं बना था।  लेकिन वकील ने कहा उन्होंने जस्टिस पटेल का इलाहाबाद हाई कोर्ट तबादला करने के कॉलेजियम के फैसले के खिलाफ याचिका दायर की है और सिर्फ इसकी लिस्टिंग चाहते हैं।

इस पर चीफ जस्टिस ने कहा कि आप सुप्रीम कोर्ट की ओर से तय नियम पर सवाल उठा रहे हैं। मैं इस पर बहस नहीं चाहता। जब वकील ने कहा कि उन्हें इस मामले के जिक्र की इजाजत चाहिए तो चीफ जस्टिस ने कहा कि प्लीज जाइए। प्लीज जाइए। 

बाद में वकील ने अदालत से बाहर पत्रकारों से कहा कि उन्होंने जस्टिस पटेल का कर्नाटक हाई कोर्ट से इलाहाबाद हाई कोर्ट तबादला करने के कॉलेजियम के फैसले को चुनौती दी है। वह चाहते हैं कि सुप्रीम कोर्ट इसे गैरकानूनी करार दे।

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