हाईकोर्ट ने कहा- जीपी सिंह केस में विद्वेषपूर्ण कार्रवाई का आरोप सिद्ध नहीं होता, याचिकाएं खारिज

बिलासपुर । छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने राजद्रोह और भ्रष्टाचार के मामलों में फंसे निलंबित एडीजी जीपी सिंह की अंतरिम राहत देने के दोनों आवेदन ख़ारिज कर दिए। हाईकोर्ट ने मंगलवार को सुनवाई पूरी कर फैसला सुरक्षित रखा था।
एसीबी, रायपुर ने जीपी सिंह के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने का अपराध दर्ज किया था। छापामारी के दौरान उनके घर से मिले आपत्तिजनक दस्तावेजों के आधार पर रायपुर की कोतवाली पुलिस ने राजद्रोह का मामला दर्ज किया था। दोनों मामलों में हाईकोर्ट में जीपी सिंह की ओर से दो रिट याचिकाएं दायर कर चुनौती दी गई थी। याचिकाकर्ता ने पूरे मामले को पूर्वाग्रह से ग्रसित बताया था। उनका कहना था कि राजनैतिक दबाव में काम नहीं करने की वजह से उनके विरुद्ध द्वेषपूर्ण कार्रवाई की गई है। याचिका में भ्रष्टाचार के मामले की जांच सीबीआई अथवा किसी स्वतंत्र जांच एजेंसी से कराने तथा राजद्रोह वाले मामले में उसके खिलाफ दर्ज एफआईआर पर राज्य पुलिस पर आगे की कार्रवाई पर रोक लगाने का आवेदन किया गया था।
अतिरिक्त महाधिवक्ता अमृतो दास ने बताया कि हाईकोर्ट में जस्टिस नरेन्द्र कुमार व्यास की एकल पीठ ने अपने फैसले में स्पष्ट किया है कि जीपी सिंह के खिलाफ राजद्रोह और भ्रष्टाचार के मामलों की जांच चल रही है। केस डायरी में उन्होंने पाया है कि आरोप गंभीर प्रकृति के हैं तथा जांच आदि का कार्य प्रारंभिक अवस्था में है। अत: अंतरिम राहत नहीं दी जा सकती। हाईकोर्ट ने यह भी कहा है कि राजद्रोह के मामले में जीपी सिंह ने पहले भी निचली अदालत में अग्रिम जमानत की याचिका दायर की थी जिसे बाद में वापस ले लिया गया। कोर्ट ने पाया है कि याचिकाकर्ता द्वारा अभी तक पेश किये गए दस्तावेजों के आधार पर यह आरोप भी सिद्ध नहीं होता कि मामला पूर्वाग्रह से ग्रसित है तथा राज्य सरकार द्वेषवश उन पर कार्रवाई कर रही है। अत: अंतरिम राहत नहीं दी जा सकती।
हाईकोर्ट में मंगलवार को जस्टिस नरेन्द्र कुमार व्यास की एकल पीठ में दोनों मामलों की एक साथ सुनवाई हुई थी। याचिकाकर्ता की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता किशोर भादुड़ी और शासन की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता केटीएस तुलसी और अतिरिक्त महाधिवक्ता अमृतो दास ने पैरवी की थी। शुक्रवार को हाईकोर्ट ने फैसला सुनाते हुए याचिकाकर्ता को कोई अंतरिम राहत न देते हुए, दोनों आवेदन ख़ारिज कर दिए । हाईकोर्ट ने राज्य शासन से मामले में चार सप्ताह में जवाब तलब किया है। मामले की अगली सुनवाई पांच सप्ताह बाद होगी।
हाईकोर्ट के इस फैसले के बाद अब राज्य सरकार की जांच एजेंसियां उनसे पूछताछ और आगे हिरासत में लेने की कार्रवाई कर सकती है। जीपी सिंह के विरुद्ध लगाई गई कई धारायें गैर जमानती हैं।

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