1667 में पहली बार भारत में लगा था आतिशबाजी पर बैन, औरंगजेब ने सुनाया था फरमान

दिवाली और शादियों में हमेशा से आतिशबाजी होती आई है, ऐसे में इस पर रियासतकाल में भी प्रतिबंध लगे हैं और इसके लिए एक्ट भी बनाए गए ताकि जान-माल का नुकसान न हो. आपको जानकर हैरानी होगी कि तात्कालिक मुगल शासक औरंगजेब ने आतिशबाजी पर प्रतिबंध लगाया था.

इतिहास के पन्नों में भी कुछ ऐसे लेख मिले हैं, जहां देश में खुशी और विवाह जैसे मौके पर आतिशबाजी व विस्फोट पर बैन लगाए गए थे. बीकानेर के राज्य अभिलेखागार में सोलहवीं सदी में लिखा गया औरंगजेब के फरमान आज भी सुरक्षित हैं. 8 अप्रैल 1667 को पहली बार हिंदुस्तान में आतिशबाजी पर बैन लगाया गया था.

जी हां, जब हमने राज्य अभिलेखागार में इस बात की पड़ताल की तो मुगल काल के कई सैंकड़ों फरमानों में से हमें एक वो फरमान भी मिला जो मुगल शासक औरंगजेब द्वारा निकाला गया था. इस फरमान में उसने देश मे खुशी और विवाह जैसे वक्त पर आतिशबाजी व विस्फोट जैसी वस्तुओं के छोड़े जाने पर पूर्ण रूप से बैन लगा दिया था.

औरंगजेब ने इस पर्शियन लेख के जरिए अपने अधिकारियों को हिंद्स्तान में निर्देश देते हुए कहा था कि देश में कोई भी कहीं बारूद या आतिशबाजी का इस्तेमाल नहीं करेगा.

गौरतलब है कि देश सर्वोच्च न्यायालय ने नई दिल्ली-एनसीआर में पटाखों की बिक्री पर रोक लगा रखी है. कोर्ट ने हाल ही में पटाखों की बिक्री और भंडारण पर रोक लगाने वाले नवंबर 2016 के आदेश को बरकार रख फैसला सुनाया था. पिछले साल कुछ बच्चों ने सुप्रीम कोर्ट में पटाखा बैन को लेकर अर्जी डाली थी. सुप्रीम कोर्ट में तीन बच्चों की ओर से दाखिल एक याचिका में दशहरे और दीवाली पर पटाखे जलाने पर पाबंदी लगाने की मांग की गई थी. इन बच्चों की उम्र 6 से 14 महीने के बीच थी.

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