18 मई को खुलेंगे रूद्रनाथ मंदिर के कपाट

गोपेश्वर
पंचकेदार श्रृंखला के सुविख्यात तीर्थस्थल श्री रूद्रनाथ मंदिर के कपाट 18 मई को खुलेंगे। रूद्रनाथ मंदिर में भगवान शिव कि पूजा नीलकंठ महादेव के रूप में की जाती है। रूद्रनाथ मंदिर में एकानन रूप में गर्मी के मौसम में भगवान शिव की पूजा होती है। यहां पहुंचने के लिए चमोली के जिला मुख्यालय के समीप सागर गांव से 18 किलोमीटर की दुर्गम पैदल यात्रा करनी पड़ती है। सर्दी के मौसम में छह महीने तक श्री रूद्रनाथ की मूर्ति की पूजा गोपेश्वर में स्थित गोपीनाथ मंदिर में होती है।

मंदिर के पुजारी जर्नादन तिवारी ने बताया कि इस साल 18 मई की सुबह मंदिर का कपाट खुलने का मुहूर्त तय हुआ है। गोपीनाथ मंदिर में 14 मई को उत्सव यात्रा बाहर निकलेगी जो 17 मई की शाम को दो पड़ावों पर ठहरने के बाद रूद्रनाथ मंदिर परिसर में पहुंचेगी। रूद्रनाथ में भगवान शिव मुख्य रूप में गुफा मंदिर में मौजूद हैं।

पौराणिक कथा
मान्यताओं के मुताबिक महाभारत के युद्ध के बाद पांडव हिमालय आये। पांडव भगवान शिव से अपने पाप के लिए क्षमा चाहते थे क्योंकि वे महाभारत के युद्ध में कौरवों को मारने के दोषी थे। लेकिन भगवान शिव उनसे मिलना नहीं चाहते थे इसलिए उन्होंने अपने आपको नंदी बैल के रूप में बदल लिया और गडवाल क्षेत्र में कहीं छिप गए। इसके तुरंत बाद भगवान शिव का शरीर चार अलग अलग भागों में विभाजित हो गया जिन्हें पंच केदार के रूप में जाना जाता है। जहां भगवान शिव का सिर पाया गया वहां पर रुद्रनाथ मंदिर बना है।

पंचकेदार के मंदिरों में शामिल केदारनाथ, मध्यमहेश्वर, तुंगनाथ और कल्पेश्वर में श्री रूद्रनाथ की यात्रा आज भी सबसे कठिन मानी जाती है। लेकिन प्राकृतिक सौंदर्य के कारण यह तीर्थयात्रियों और सैलानियों के लिए आज भी स्वर्ग बना हुआ है।

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