24 तीर्थंकर भगवन्तों की आराधना में जिनालयों में बरस रहा भक्ति रस 

भोपाल। श्री आदि वीर जन्म जयंती महोत्सव के अन्तर्गत राजधानी के जैन मंदिरों में 24 तीर्थंकर भगवन्तों की आराधना भक्ति भाव से की जा रही है। तीर्थंकर प्रभु के अनन्त गुणों की वंदना के लिए विधान में आकर्षक माडने पर अर्घ्य समर्पित किये जा रहे है। मुनिश्री अजित सागर महाराज ऐलक, दयासागर महाराज ऐलक, विवेकानंद सागर महाराज के सानिध्य में श्री पार्श्वनाथ दिगम्बर जैन मंदिर शंकराचार्य नगर में श्री पुष्पदंत विधान में श्रद्धालुओं ने सोधर्म इन्द्र, कुबेर, महायज्ञ नायक, यज्ञ नायक आदि प्रमुख पात्रों का भेष धारण कर मूलनायक भगवान पार्श्वनाथ का अभिषेक एवं संपूर्ण जगत में शांति एवं परस्पर सद्भाव की कामना को लेकर मंत्रोचारित शांति धारा की। संगीतमय स्वर लहरियों के साथ भगवान पुष्पदंत की अनन्त गुणों की वंदना की और श्रद्धा, भक्ति और आस्था से सराबोर होकर माडने पर अष्टदृव्यों का थाल सजाकर अर्घ्य समर्पित किये। पाठशाला के बच्चों में उत्साह देखते ही बन रहा था श्रद्धालुओं में पाठशाला के लगभग 100 से अधिक बच्चे इन्द्र, इन्द्राणियों के वेषभूषा में भक्ति में लीन थे। जिनालय में 24 तीर्थंकर भगवान के जयकारे गूंज रहे थे। इस अवसर पर मुनिश्री अजित सागर महाराज ने कहा कि दृष्टि ठीक होगी तो सृष्टि भी सुंदर दिखेगी। दृष्टि विकार भाव ही हमें वस्तु में विकार भाव लाते हैं। अच्छा-बुरापन तो हमारी दृष्टि में होता है। मुनिश्री ने धार्मिक अनुष्ठान के आयोजन का प्रयोजन भी पता होने की श्रावक को सीख देते हुये कहा कि ऐसे महोत्सव में श्रद्धाभक्ति से पूजन-अर्चन करने से जीवन आनंद का उत्सव मनता है। मनुष्य योनि में एक-एक पल कीमती है। समय को सार्थक कर जीवन को धन्य बनाये। उदाहरण देते हुये कहा कि एक हंस मानसरोवर छोड़कर मनुष्यों के बीच आ गया तभी उसके पीछे हजारों कौंए लग गये पर कौए लड़ झगड़कर खाते हैं लेकिन हंस मिलकर शांति से खाते हैं हम सब कौए के स्वभाव में न बनकर हंस के स्वभाव वाले बने। हंस सदैव सार-सार को ग्रहण करते है नि:सार को छोड़ देता है। हम सभी हंस का स्वभाव अपनाकर सारभूत त्याग, संयम को ग्रहण करें और नि:सार परिग्रह, इन्द्रीय विषय का त्याग करें। ऐलक श्री विवेकानंद सागर महाराज ने अर्घ्य का महत्व बताते हुये कहा समय, सत्ता, सम्पदा, शरीर का सदुपयोग, स्वाध्याय, सत्संग, त्याग, दान एवं संयम से कर अपने जीवन को श्रेष्ठ प्रेरणादायी बनायें। संतो की प्रेरणा पाकर अर्थ समय के दुरूपयोग बचें। पंचायत कमेटी ट्रस्ट के मीडिया प्रभारी अंशुल जैन ने बताया कि राजधानी के मंदिरों में चौबीस तीर्थंकर भगवंतों की आराधना में भव्य और आकर्षक माडने सजाये जा रहे हैं जिसका निर्माण राजू गोयल एवं उनकी टीम सृजन मंडल द्वारा किया जा रहा है। इस अवसर पर सुरेश जैन समरधा, दीपक दीपराज सुनील अरिहंत, डॉ. अरुण जैन, नवीन जैन, मणिकचंद जैन, नरेन्द्र, मनोज, राजीव आदि मौजूद थे। 
आज अशोका गार्डन जैन मंदिर में मुनिसंघ के सानिध्य में श्री शीतलनाथ विधान प्रात: 7 बजे से होगा।

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