34 साल कानूनी लड़ाई लड़कर धोखेबाज प्रेमी को पीड़िता ने पहुंचाया जेल

दिल्ली की एक महिला ने शादी के नाम पर धोखा देने वाले व्यक्ति को सजा दिलाने के लिए तीन दशक लंबी कानूनी लड़ाई लड़ी। अदालत ने प्रेमी को धोखा देने के जुर्म में दो साल की जेल की सजा सुनाई है। इसके अलावा अभियुक्त सुनील मोंगा पर 50 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया है। जुर्माने की रकम पीड़िता को मुआवजा स्वरूप दी गई है।

साकेत स्थित एडिशनल सेशन जज संजीव कुमार की अदालत ने 55 वर्षीय लता चौहान के पक्ष में फैसला सुनाया है। अदालत ने कहा कि पीड़िता यह साबित करने में सफल रही कि अभियुक्त ने प्यार और शादी के नाम पर उसके साथ धोखा किया। अदालत ने 59 वर्षीय को अभियुक्त को जेल भेजने के आदेश भी दिए। अदालत ने अभियुक्त की सजा के खिलाफ पुनर्विचार याचिका को भी खारिज कर दिया। अदालत ने कहा कि पूरे मामले से साफ है कि अभियुक्त ने शादीशुदा होने के बावजूद पीड़िता से झूठी शादी की और उसे गर्भवती भी किया। बेशक मामले में फैसला देरी से आया, परन्तु तमाम साक्ष्यों से प्रमाणित होता है कि अभियुक्त सजा का हकदार है।

वर्ष 1982 में दिया था प्रेम प्रस्तावलारेंस रोड निवासी सुनील मोंगा ने वर्ष 1982 में आईएनए मार्किट में नौकरी करने वाली लता चौहान को प्रेम प्रस्ताव दिया। दोनों के बीच नजदीकियां बढ़ने लगी। इस बीच वर्ष 1985 में सुनील ने शादी कर ली, लेकिन प्रेमिका को नहीं बताया। वहीं, लता गर्भवती हो गई। सुनील ने बहाने बनाकर उसे गर्भपात को राज कर लिया।

परन्तु डॉक्टर ने गर्भपात में खतरा बताया। यहां भी सुनील ने चालाकी दिखाई। उसने लता से उसकी मां और पुलिस के नाम पत्र लिखवाया कि यह सब उसकी गलती से हुआ है। इतना ही नहीं, मई 1986 में उससे मंदिर में झूठी शादी कर ली । जल्द ही लता को इस झूठ का पता चल गया। उसने महिला अपराध शाखा में मुकदमा कराया। दूसरी तरफ उसने एक बेटे को जन्म दिया, जिसकी जन्म के 40 वें दिन मौत हो गई।

परिवार वालों ने घर से निकालालता के अनुसार, गर्भवती होने की खबर सुनकर मजिस्द मोठ निवासी परिवार ने उसे घर से निकाल दिया। इस दौरान लता ने प्रेमी के कहने पर अपने भाई के खिलाफ पुलिस से शिकायत भी की। घर से निकाले जाने के बाद लता डेढ़ साल तक नारी निकेतन में रही, परन्तु उसने अपनी लड़ाई नहीं छोड़ी।

हालांकि, शुरूमें वह अभियुक्त के खिलाफ बतौर पत्नी मुकदमा लड़ रही थी, लेकिन वर्ष 2001 में अभियुक्त ने अपनी पहली पत्नी को अदालत में पेश कर दिया। जिसके बाद व्यभिचार का मुकदमा शुरू हुआ। अदालत ने वर्ष 2015 में अभियुक्त को पहली पत्नी होने के बावजूद दूसरी स्त्री को धोखा देने का दोषी ठहराया।

इसके खिलाफ अभियुक्त ने सत्र अदालत में अपील दायर की, जिस पर अदालत ने अभियुक्त के कृत्य को धोखा ठहराते हुए उसकी दो साल की सजा को बरकरार रखा। साथ ही उसे तत्काल हिरासत में लेकर जेल भेजने के आदेश दिए।

अपराध की सजा 59 की उम्र में मिली

अभियुक्त ने 25 साल की उम्र में जो अपराध किया था उसे उसकी सजा 59 साल की उम्र में मिली। पीड़िता का कहना है कि हालांकि उसे इंसाफ लेने के लिए अपनी उम्र को खपाना पड़ा, परन्तु वह खुश है कि उसने एक अपराधी को सजा दिलाई। पीड़िता का कहना था कि आज वह दो जवान बेटों का पिता है। लोगों को इससे सबक मिलेगा।

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