50 हजार ट्रैकमैन पटरियों की बजाय अधिकारियों के बंगले पर दे रहे ड्यूटी

देश में लगातार हो रहे रेल हादसों के पीछे एक बड़ा कारण भारतीय रेल की पटरियों के देखरेख और इसे दुरुस्त रखने में बड़ी लापरवाही बरती जा रही है. रेल की पटरियों की देखरेख करने वाले 50 हज़ार ट्रैकमैन रेल की पटरियों की बजाय अधिकारियों के बंगले में काम कर रहे हैं. जिन ट्रैकमैन पर रेल पटरियों की जिम्मेदारी है, उन्हें अधिकारियों ने पटरियों के बजाय अपने बंगले में तैनात कर रखा है, जिसका नतीजा है बारबार होने वाले रेल हादसे.

दरअसल, भारतीय रेल की पटरियों की सुरक्षा और उसकी देखरेख का काम ट्रैक मेंटेनर या गैंगमैन का होता है. हालांकि रेलवे के पास इसका कोई आधिकारिक आंकड़ा मौजूद नहीं है कि कितने गैंगमैन को अधिकारियों ने अपने निजी काम मे लगा रखा है. लेकिन एक अनुमान के मुताबिक देशभर में रेलवे के अधिकारियों ने करीब 50 हज़ार ट्रैकमैन की ड्यूटी अपने बंगलों और दफ़्तरों में लगा रखी है.

भारतीय रेल में ऐसे करीब 10 हजार अधिकारी हैं, जिन्होंने बड़ी संख्या में ट्रैक मैन को अपने बंगले और दफ्तर में निजी काम के लिए तैनात कर रखा है. इनमें बोर्ड मेंबर, जीएम, डीआरएम, सीनियर डीओएम और इंजीनियरिंग के कई सारे अधिकारी शामिल हैं.

रेलवे को करीब 1 लाख 40 हजार किलोमीटर लंबाई के रेल ट्रैक को मेंटेन रखने के लिए 2 लाख ट्रैक मेंटेनर, प्वाइंट्समैन, गैंगमैन की ज़रूरत है. लेकिन यहां 50 हज़ार पद खाली पड़े हैं. जबकि क़रीब 30 हजार ट्रैक मेंटेनर रेलवे क्रॉसिंग पर फाटक खोलने और बंद करने का काम कर रहे हैंइसके अनुसार रेलवे को जितने ट्रैक मेंटेनर की जरूरत है उसके आधे से भी कम मेंटेनर ही ट्रैक पर काम कर रहे हैं. इसी को देखते हुए अब रेलवे ने अलगअलग ज़ोन को आदेश देना शुरू कर दिया है कि गैंगमैन और ट्रैकमैन को अधिकारियों के बंगले से मुक्त कर उनके असल काम में लौटाया जाए. न्यूज 18 इंडिया के पास इससे जुड़े अहम दस्तावेज भी मौजूद हैंभारतीय रेल में ट्रैकमैन की कहानी यहीं नहीं खत्म होती है. हर साल 300 से ज्यादा ट्रैकमैन पटरियों पर काम करते हुए मारे जाते हैं. हर साल 3000 से ज्यादा ट्रैकमैन ऐसे ही हादसों में घायल और अपाहिज हो जाते हैं. मानवीय आधार पर केवल इन्हीं घायल या दिव्यांग ट्रैकमैन को अधिकारियों के बंगले और दफ्तर में तैनात किया जाता है ताकि उसे भारी वजन उठाना पड़े. लेकिन यह कोई नियम नहीं हैगैंगमैन को लेकर एक और समस्या यह भी है कि अक्टूबर 2010 के बाद से कम से कम मैट्रिक पास होने पर ही वो नौकरी के लिए योग्य माने गए हैं. जबकि पहले यह आठवीं पास था. ऐसे में ज्यादा पढ़े होने के कारण वो तो भारी और वजन उठाने वाला काम करना चाहते हैं और ही अपने से कम पढ़े पुराने कीमैन के निर्देशों को मानते हैं

 

शायद इसी वजह से रेलवे ने अपने अधिकारियों को नियमों को खिलाफ मिली यह सुविधा खत्म करने का फैसला किया है. यहां तक कि नए रेल बोर्ड अध्यक्ष ने सभी जोनल रेलवे को अधिकारियों के घरों और बंगलों में ड्यूटी कर रहे गैंगमैन और ट्रैकमैन को उनकी असल ड्यूटी में लौटने का आदेश दिया है.

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