कश्मीर हालात पर बढ़ी PM मोदी की चिंता, केंद्र सरकार ले सकती है बड़ा फैसला
नई दिल्लीः कश्मीर घाटी में हालात सुधरने का नाम नहीं ले रहे हैं। घाटी में बढ़ती हिंसा और तनाव ने केंद्र सरकार के माथे पर बल ला दया है।प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खुद कश्मीर को लेकर चिंता में हैं। इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि बुधवार को कैबिनेट की बैठक के फौरन बाद उन्होंने भाजपा कोर ग्रूप की बैठक बुलाई। इस बैठक में कश्मीर चर्चा का केंद्र रहा। करीब तीन घंटे तक चली बैठक में जम्मू से पार्टी के नेता और केंद्र में मंत्री जितेंद्र सिंह भी शामिल रहे।
इनके अलावा रक्षा और वित्त मंत्री अरुण जेटली, गृह मंत्री राजनाथ सिंह, नितिन गडकरी, वैंकेया नायडू और पार्टी महामंत्री राम लाल भी मौजूद थे। बैठक में प्रधानमंत्री को राज्य के ताजा हालात से रू-ब-रू कराया गया। पिछले हफ्ते घाटी के दौरे पर गए सेना प्रमुख का आंकलन, मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती से उनकी बातचीत और खुफिया विभाग की रिपोर्ट से पीएम को अवगत कराया गया। सूत्रों के मुताबिक जम्मू-कश्मीर की मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती के रवैये से सेना में नाराजगी है। बताया जा रहा है कि महबूबा मुफ्ती के स्टैंड से भाजपा भी खफा है।
तो क्या राष्ट्रपति शासन विकल्प है?
भाजपा की राज्य इकाई लगातार महबूबा मुफ्ती के बर्ताव और काम करने के तरीके को लेकर अपनी नाराजगी जाहिर करती रही है। अब हालात बेकाबू होता देख भाजपा नेतृत्व पीडीपी को सख्त रवैया दिखाने के मूड में है। नेताओं का मानना है कि कश्मीर में तनाव ने मोदी की छवि को कमजोर करने का काम किया है। अब सवाल उठने लगे हैं कि क्या राज्य में सत्ता सुख की आस ने मोदी के हाथ बांध रखे हैं? इन सवालों के बीच ही अब इस विकल्प पर भी विचार हो रहा है कि राज्य में महबूबा से नाता तोड़कर राष्ट्रपति शासन की ओर बढ़ा जाए। सूत्रों के मुताबिक महबूबा मुफ्ती की कोशिश उपचुनाव में अपने भाई को जिताकर केंद्र की राजनीति में पहुंचाने की थी।
मुफ्ती चाहती थीं कि वो एनडीए का हिस्सा बनकर भविष्य में होने वाले मंत्रिमंडल विस्तार में अपने भाई को जगह दिलाएं हालांकि उपचुनाव में भाई की हार ने उनके मंसूबों पर पानी फेर दिया। फिलहाल महबूबा मुफ्ती 23 तारीख को दिल्ली पहुंच रही हैं। अप्रैल के आखिर में बीजेपी अध्यक्ष दो दिन के दौरे पर जम्मू जाएंगे. तब तक सरकार की कोशिश हालात को काबू करने की रहेगी, अगर ऐसा जल्द नहीं हुआ तो मुमकिन है केंद्र सरकार कश्मीर पर कोई बड़ा फैसला ले ले।