अगर जबरन नहीं तो वेश्यावृत्ति अपराध नहीं: गुजरात हाई कोर्ट
अहमदाबाद। गुजरात हाई कोर्ट ने शुक्रवार को एक मामले की सुनवाई करते हुए फैसला सुनाया कि अगर कोई सेक्स वर्कर अपनी मर्जी से और बगैर किसी जबरदस्ती के वेश्यावृत्ति में शामिल है तो यह कोई अपराध नहीं है और उस पर कोई मामला नहीं बनता है।
अदालत विनोद पटेल की याचिका की सुनवाई कर रही थी, जो कथित तौर पर ३ जनवरी को सूरत में एक वेश्यालय में गए थे। इसके बाद पुलिस की रेड में पांच सेक्स वर्कर सहित विनोद को भी गिरफ्तार किया गया था। पटेल पर आईपीसी की धारा ३७० के तहत मुकदमा दर्ज किया गया था।
कोर्ट ने भारतीय दंड संहिता की धारा ३७० के प्रावधानों की व्याख्या की, जिसमें शारीरिक या यौन शोषण के मामले आते हैं। इसे केंद्र सरकार ने निर्भया गैंगरेप के मामले के बाद अधिक कठोर बना दिया था। कोर्ट ने कहा, 'जहां तक वेश्यावृत्ति का संबंध है, सेक्स वर्कर के ग्राहक को भी इस खंड में 'अपराधी' के तौर पर देखा गया है।'
जस्टिस जेबी पर्दीवाला ने एक बहस का उल्लेख किया जो न्यायमूर्ति जेएस वर्मा आयोग के समक्ष हुई। जस्टिस वर्मा ने ही निर्भया मामले के बाद कानून में संशोधन के लिए सिफारिशें की थीं। पटेल ने इसके बाद हाई कोर्ट का रुख करते हुए कहा कि वह किसी सेक्स वर्कर या पीड़ित के साथ नहीं पकड़ा गया बल्कि वह अपनी बारी का इंतजार कर रहा था। इसलिए वह किसी पीड़ित की इच्छा के खिलाफ देह व्यापार में किसी व्यक्ति के शोषण में शामिल नहीं था। इसके बाद कोर्ट ने पटेल पर लगे सभी आरोपों खारिज करते हुए कहा कि वह रैकेट का हिस्सा नहीं थे।