मंदाकिनी पुरी पर बड़ा आरोप…

आप तो महामंडलेश्वर के साथ राज्यपाल बनने के लायक हैं। आप कहें तो छोटी-मोटी दक्षिणा लगेगी और मैं अमित शाह जी से कहकर आपको राज्यपाल बनवा दूंगी। आपने कथाओं के माध्यम से सनातन धर्म की पताका पूरे देश में लहराई है। लेकिन, आपको गो संवर्धन बोर्ड का अध्यक्ष होना चाहिए, 30-35 लाख लगेंगे और आप इस बोर्ड की अध्यक्ष बन जाएंगी। कुछ ऐसी ही मन लुभावनी बातें निरंजनी अखाड़े की निष्कासित महामंडलेश्वर मंदाकिनी पुरी ने अन्य महामंडलेश्वर से समय-समय पर होने वाली मुलाकात के दौरान कहीं थी। 

रूआब और रुतबे में अपने आपको सभी से अलग बताने वाली महामंडलेश्वर मंदाकिनी पुरी का बात करने का तरीका कुछ ऐसा था कि कई भोले भाले लोग उनकी बातों में फंस जाते थे और यह विश्वास कर लेते थे कि वास्तविकता में मंदाकिनी पुरी केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह और भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा को न सिर्फ जानती हैं, बल्कि उनसे अच्छे संबंध भी हैं। यह बात हम नहीं कह रहे हैं, बल्कि अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष और निरंजनी अखाड़े के सचिव रवींद्र पुरी महाराज और पुलिस के पास पहुंच रहे लोगों के माध्यम से पता चल रही है। बताया जा रहा है कि जो लोग मंदाकिनी पुरी के मायाजाल में फंस गए उन्हें लाखों की चपत लगी है। 

शायद ही कोई ऐसा सोच सकता है कि महामंडलेश्वर के पद जिसे प्राप्त करने के लिए साधु संतों को वर्षों लग जाते है। उसके लिए इस कलयुग में अब किसी भी त्याग और तपस्या की कोई आवश्यकता नहीं है। जरूरत है तो सिर्फ और सिर्फ रूपयो की। महामंडलेश्वर के पद के भी सौदे होते हैं। इस बात का खुलासा दो दिनों पहले उस समय हुआ था, जब थाना चिमनगंज में मंगलनाथ मंदिर के सामने महामाया आश्रम में रहने वाले सुरेश्वरानंद महाराज एक शिकायती आवेदन लेकर पहुंचे थे। जिसमें बताया गया था कि श्री निरंजनी अखाड़े की महामंडलेश्वर मंदाकिनी पुरी और एक अन्य हरिद्वार निवासी अश्विन ने साथ मिलकर मुझसे 7.50 लाख लिए थे। लेकिन, न तो मुझे महामंडलेश्वर बनाया गया और न ही मेरे द्वारा दी गई यह राशि लौटाई गई। इस आवेदन के बाद पुलिस ने महामंडलेश्वर मंदाकिनी पूरी और अश्विन के खिलाफ धोखाधड़ी की धारा 420 में प्रकरण दर्ज कर लिया था।

गृहमंत्री अमित शाह और भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा से पहचान होने का दावा

श्री निरंजनी अखाड़े की महामंडलेश्वर मंदाकिनी पुरी के बारे में पुलिस को अब तक जो जानकारी लगी है उससे तो यही पता चलता है कि वह काफी शातिर है। वह केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह, भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा या फिर अन्य किसी प्रतिष्ठित व्यक्ति का नाम लेकर लोगों ऐसे बताती थी कि जैसे वे उसके कहने पर वह सभी काम कर देंगे जो कि वह चाहती है। महामंडलेश्वर मंदाकिनी के खिलाफ चिमनगंज थाने में केस दर्ज होने के बाद वह लगातार कई प्रकार के आरोपों से घिर रही है। 

राज्यपाल और गो संवर्धन बोर्ड का अध्यक्ष बनवाने का दिया था झांसा

मोन तीर्थ पीठ के महामंडलेश्वर सुमनानंद महाराज ने आरोप लगाया कि महामंडलेश्वर मंदाकिनी मेरे पास आई थी। जिन्होंने मुझे यह ऑफर दिया था कि आप कहें तो मैं अमित शाह जी से बोल कर आपको राज्यपाल बनवा देती हूं। उसने मुझे यह भी प्रलोभन दिया था कि आप महामंडलेश्वर हैं आपको शेर की खाल पर बैठना चाहिए जब मेने शेर की खाल न होने का बात कही तो हरिद्वार से 5 लाख रुपये में शेर की खाल मंगवाने की बात भी मंदाकिनी ने कही थी। जबकि, महामंडलेश्वर अन्नपूर्णा गिरी उर्फ वर्षा नागर ने मंदाकिनी पुरी पर यह आरोप लगाया कि वह उन्हें गो संवर्धन बोर्ड की अध्यक्ष बनवाना चाहती थी लेकिन, इसके लिए मंदाकिनी ने 35 लाख रुपए मांगे थे। इन दो महामंडलेश्वरों के साथ ही कथावाचक भगवान बापू को भी महामंडलेश्वर बनाने के नाम पर मंदाकिनी पुरी ने अपनी फीस 15 लाख रुपए बताई थी और झांसे में लेकर भगवान बापू से 1 लाख रुपये भी ले लिए थे। 

शुरू से विवादों में रहा है मंदाकिनी पूरी का नाम 

कुछ वर्षों पूर्व महामंडलेश्वर की उपाधि मिलने और उसके बाद पिछले 2 वर्षों से साधु संतों के हर विवाद में मंदाकिनी पुरी का नाम सुनाई देने लगा। परमधाम आश्रम कहारवाड़ी में बोधानंद महाराज को हटाए जाने जाने के समय माता मंदाकिनी के साथ छेड़छाड़ की घटना हो या  फिर कहारवाड़ी में ही साधु संतों के साथ हुए विवाद में प्रकरण दर्ज न होने पर मंदाकिनी माता के द्वारा महाकाल थाने के बाहर धरने पर बैठना और एसपी कार्यालय पर पहुंचकर भी प्रकरण दर्ज करने के लिए दबाव बनाना। इन विवादों के साथ ही महाकाल मंदिर के गर्भग्रह में जाने से रोकने पर माता मंदाकिनी ने जमकर बखेड़ा खड़ा किया था और महाकाल मंदिर के प्रशासक संदीप सोनी को श्राप दिया था कि जब तक तुम इस मंदिर में प्रशासक हो तब तक मैं मंदिर में प्रवेश नहीं करूंगी। 

अखाड़ा परिषद अध्यक्ष के पास पहुंच रही शिकायतें

अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष और श्री निरंजनी अखाड़ा के सचिव रवींद्र पुरी महाराज के पास निष्कासित महामंडलेश्वर मंदाकिनी पुरी द्वारा की गई जालसाजी की शिकायतें तो पहुंची रही हैं। लेकिन, कुछ लोग उनके पास बकाया रुपयों को लेकर भी पहुंचे हैं। सोर्स बताते हैं कि अब तक आई शिकायतों में एक्सीडेंट संचालक यज्ञ करवाने वाले पंडित और एक होटल संचालक भी अखाड़ा परिषद अध्यक्ष से मिले हैं, जिन्होंने बताया कि मंदाकिनी पुरी ने उनसे काम तो करवाया लेकिन बकाया लाखों रुपए देने के नाम पर वह लगातार उन्हें टाल रही हैं। काफी समय बीत जाने के बावजूद भी रुपया देना नहीं चाहती है।

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