देवास में जीत का अंतर बढ़ाने पर भाजपा का फोकस

भोपाल । कभी जनसंघ फिर जनता पार्टी और अब भाजपा का गढ़ कहे जाने वाले देवास-शाजापुर क्षेत्र में भाजपा न केवल अपने उम्मीदवार की जीत को लेकर आश्वस्त है, बल्कि तैयारी बड़े अंतर से जीत का रिकॉर्ड कायम करने की है। कांग्रेस यहां संभावना के भरोसे है और कोई चमत्कार ही उसे 1984 या 2009 जैसी स्थिति दिलवा सकता है। यहां दोनों उम्मीदवार संसदीय क्षेत्र के बाहर के हैं।
न्यायिक सेवा से राजनीति में आए वर्तमान सांसद महेंद्रसिंह सोलंकी अपनी जीत को लेकर पूरी तरह आश्वस्त हैं। वे कहते हैं कि पांच साल में उन्होंने इस क्षेत्र के विकास के लिए जो कुछ किया है, उसी आधार पर मैं एक बार फिर जनता के बीच हूं। मुझे पूरा भरोसा है कि वे न केवल मुझे जितवाएंगे बल्कि हम यहां जीत का एक नया रिकॉर्ड कायम करेंगे। सोलंकी संघ के निष्ठावान माने जाते हैं और उनकी राह आसान करने के लिए संघ का नेटवर्क भी यहां दमदारी से मैदान संभाले हुए है। कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ रहे राजेंद्र मालवीय, कांग्रेस के दिग्गज नेता राधाकिशन मालवीय के बेटे हैं। उनके पिता भी इसी संसदीय क्षेत्र से चुनाव लडक़र हार चुके हैं। खुद राजेंद्र विधानसभा के दो चुनाव हारने के बाद इस बार लोकसभा के लिए किस्मत आजमा रहे हैं। राजेंद्र कहते हैं कि वर्तमान सांसद पांच साल पूरी तरह निष्क्रिय रहे और इसी का फायदा मुझे मिल रहा है।

जातिगत समीकरण साध रहे दोनों

देवास की राजनीति में पंवार राजघराने का शुरू से दबदबा रहा है। इस घराने के कृष्णाजी राव पंवार और तुकोजीराव पंवार ने यहां से कई चुनाव जीते और अभी तुकोजीराव की पत्नी गायत्री राजे देवास से विधायक है। यहां के राजनीतिक समीकरण का काफी हद तक राजघराने के इर्दगिर्द ही रहे हैं। जातिगत समीकरण के मान से देखा जाए तो राजपूत, खाती, अनुसूचित जाति और अल्पसंख्यक समुदाय के मत यहां किसी भी उम्मीदवार की हार-जीत में अहम भूमिका निभाते हैं। जातिगत समीकरण साधने में दोनों पक्ष कोई कसर बाकी नहीं रख रहे हैं।

नेताओं का अनुभव

देवास से सांसद और सोनकच्छ से चार बार विधायक रहे सज्जन सिंह वर्मा का कहना है कि पांच साल के कार्यकाल में सोलंकी अपनी ही पार्टी के नेताओं को नहीं संभाल पाए तो क्षेत्र की जनता की उन्होंने क्या सुध ली होगी। प्रत्युत्तर में सोलंकी कहते हैं कि सज्जन वर्मा को शायद 2009 से 2014 के अपने संसदीय कार्यकाल की याद आ गई, जिसमें वे पूरी तरह निष्क्रिय रहे, क्षेत्र की जनता को असहाय छोड़ दिल्ली में दरबार सजाते रहे और इसी कारण 2014 में उन्हें मनोहर ऊंटवाल के हाथों करारी शिकस्त खाना पड़ी।

सांसद और विधायक के बीच रस्साकशी


यहां पर सांसद और देवास के विधायक के बीच जो रस्साकशी चल रही है। कांग्रेस उसका भी फायदा उठाने की कोशिश में है। इधर, विधायक के एकाधिकार को चुनौती देने वाली सांसद के साथ भाजपा के वे तमाम नेता आकर खड़े हो गए हैं, जो महल से प्रताडि़त हैं। सोलंकी के पक्ष में दमदारी से मोर्चा संभालने वाले देवास विकास प्राधिकरण के पूर्व अध्यक्ष राजीव यादव कहते हैं कि नतीजा तो तय हो गया है, इसकी अधिकृत घोषणा 4 जून को होना है। दोनों उम्मीदवार चार जिलों में फैले इस संसदीय क्षेत्र में जनसंपर्क लगभग पूरा कर चुके हैं। अब बड़े कस्बों तथा देवास-शाजापुर, शुजालपुर, आगर, सोनकच्छ और हाटपिपलिया में आखिरी तीन-चार दिन लोगों के बीच पहुंचेंगे।

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