BRICS समिट में बोले PM- शांति के लिए सभी देशों को साथ मिलकर आगे बढ़ना होगा

डोकलाम विवाद के बाद ब्रिक्स समिट में पीएम मोदी के पहुंचने पर शी जिनपिंग ने जहां मिलजुल कर आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई लड़ने की बात की तो वहीं पीएम मोदी ने भी यहां सुरक्षा को लेकर भारत का रुख स्पष्ट किया। पीएम ने अपने संबोधन में कई मुद्दों को शामिल किया, लेकिन इसमें सबसे अहम सुरक्षा का मुद्दा था।
मोदी ने सभी देशों को संदेश देते हुए साफ किया कि सुरक्षा का मुद्दा बेहद अहम है और सभी देशों को शांति के लिए सहयोग करना होगा। हमारा देश युवाओं का देश है, हमनें काले धन खिलाफ लड़ाई छेड़ी और वो अभी भी जारी है।

इस समिट की शुरूआत रविवार शाम हो गई थी, लेकिन पीएम मोदी ने सोमवार को अपना भाषण दिया। पीएम मोदी ने अपने भाषण में हर बार की तरह इस बार भी शांति की अपील की। इससे पहले शी जिनपिंन ने भी अपने भाषण में आपसी सहयोग की बात कही थी।
 

OBOR पर भी विचार-विमर्श की संभावना

डोकलाम के अलावा वास्तविक नियंत्रण रेखा (एएलसी) पर नेपाल और म्यांमार के साथ लगे ट्राई जंक्शन पर भी भारत और चीन में तनातनी हो सकती है। इसके अलावा चीन के महात्वाकांक्षी ‘वन बेल्ट वन रोड’ (ओबीओआर) पर भी विचार-विमर्श की संभावना है। भारत की ओर से स्पष्ट रूप से बताया जाएगा कि चीन की इस एकतरफा पहल से वह खुश नहीं है।

आतंकवाद पर भारत का रवैया बहुत स्पष्ट
भारत इस बैठक में अफगानिस्तान और पाकिस्तान की सीमा पर सक्रिय आतंकी नेटवर्क के खिलाफ ठोस कदम उठाए जाने और दुनिया भर में फैल रहे अतिवाद को काबू में करने की योजना बनाए जाने की मांग करेगा। हालांकि जिनपिंग ने बृहस्पतिवार को ही स्पष्ट कर दिया है कि ब्रिक्स के मंच से पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद पर कोई चर्चा नहीं होगी, फिर भी भारत इसे अपने तरीके से उठाएगा। विदेश मंत्रालय के अनुसार आतंकवाद पर भारत का रवैया बहुत स्पष्ट है और वह इसे कई अंतरराष्ट्रीय मंचों पर उठा भी चुका है।

ब्रिक्स की बुनियाद
सबसे पहले गोल्डमैन सैश के एक अर्थशास्त्री ने 2001 में पश्चिमी देशों को चुनौती देने की क्षमता रखने वाले ब्राजील, रूस, भारत और चीन की उभरती हुई अर्थव्यवस्थाओं के लिए ब्रिक्स शब्द का इस्तेमाल किया। इन चार देशों ने 2009 में रूस में पहला शिखर सम्मेलन आयोजित किया। 2010 में दक्षिण अफ्रीका के जुड़ने से इसके सदस्य देशों की संख्या पांच हो गई। इन देशों में दुनिया की 40 फीसदी से ज्यादा आबादी रहती है, जबिक विश्व अर्थव्यवस्था में इसकी हिस्सेदारी 22 फीसदी है। इन देशों की औसत आर्थिक वृद्धि दर वैश्विक औसत से ज्यादा है।

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