CM की अनुमति के बावजूद निलंबित चीफ इंजीनियर वीरेंद्र राम के खिलाफ नहीं हुई FIR

रांची। मुख्यमंत्री की अनुमति के बावजूद झारखंड एसीबी में सवा सौ करोड़ की अवैध संपत्ति अर्जित करने के आरोपित ग्रामीण कार्य विभाग के पूर्व मुख्य अभियंता वीरेंद्र राम के विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज नहीं हुई थी।वीरेंद्र राम के विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज करने की अनुशंसा जल संसाधन विभाग ने छह जुलाई 2023 को की थी। मंत्रिमंडल सचिवालय एवं निगरानी विभाग के प्रधान सचिव को भेजे गए पत्र में स्पष्ट लिखा गया था कि ईडी की जांच रिपोर्ट के आधार पर विधिक परामर्श, मुख्यमंत्री के अनुमोदन के बाद लिए गए निर्णय के आधार पर प्राथमिकी दर्ज करने की अनुशंसा की जा रही है।

इसकी प्रतिलिपि भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो को भेजी गई थी। तत्कालीन मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से उक्त फाइल पर सहमति ली गई थी। अनुमति के बाद जल संसाधन विभाग ने छह जुलाई 2023 को वीरेंद्र राम पर प्राथमिकी दर्ज करने के लिए मंत्रिमंडल सचिवालय एवं निगरानी विभाग के प्रधान सचिव से पत्राचार किया था। इसके बावजूद एसीबी में प्राथमिकी दर्ज नहीं हुई।वीरेंद्र राम पर दर्ज प्राथमिकी की अनुशंसा में जल संसाधन विभाग ने लिखा है कि ईडी ने एसीबी जमशेदपुर में 13 नवंबर 2019 को दर्ज प्राथमिकी के आधार पर ही वीरेंद्र राम के विरुद्ध जांच की थी।इसी आधार पर एसीबी जमशेदपुर ने पथ निर्माण विभाग के तत्कालीन कनीय अभियंता सुरेश प्रसाद वर्मा व वीरेंद्र राम के रिश्तेदार आलोक रंजन पर फाइनल रिपोर्ट दाखिल की थी।

एसीबी ने उस समय तीस ठिकानों पर छापेमारी की थी, जिसमें नकद, जेवरात, गाड़ियां व अवैध दस्तावेज मिले थे। इसके बाद ही ईडी ने मनी लांड्रिंग अधिनियम के तहत राज्य सरकार से भारतीय दंड विधि तथा भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम में प्राथमिकी दर्ज करने की अनुशंसा की थी।इस पर सरकार ने विधिक सलाह ली गई थी कि तत्कालीन मुख्य अभियंता वीरेंद्र राम के विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज की जाए या फिर एसीबी जमशेदपुर में दर्ज प्राथमिकी में ही उन्हें अभियुक्त के तौर पर जोड़ दिया जाए।

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