हाईकोर्ट की सख्त टिप्पणी -मशीनें सिर्फ रखने के लिए नहीं, उनसे मरीजों की जांच की जाए

जिला अस्पताल में रिएजेंट नहीं होने के कारण भी लोगों को हो रही परेशानी

बिलासपुर । हाईकोर्ट ने एक स्वत: संज्ञान मामले में कड़ी टिप्पणी करते हुए कहा है कि स्वास्थ्य विभाग में खरीदी गई लाखों की मशीनें सिर्फ रखने के लिए नहीं हैं।  इनका उपयोग कर मरीजों की जांच भी हो और नियमित समय पर रिपोर्ट मिले। इसकी व्यवस्था सरकार और स्वास्थ्य विभाग को करनी होगी। जिला अस्पताल में कई जरूरी परीक्षण न होने पर हाईकोर्ट ने संज्ञान लिया था। 
उल्लेखनीय है कि जिला अस्पताल में थायराइड, खून-पेशाब जैसे जरूरी जांच भी नहीं हो पा रही है। इसके चलते मरीजों को प्राइवेट लैब का सहारा लेना प? रहा है। इस अव्यवस्थाओं पर हाईकोर्ट ने सख्ती दिखाई थी और दो कोर्ट कमिश्नर नियुक्त करते हुए भेजा था। कोर्ट कमिश्नरों ने हाईकोर्ट में अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत कर दी है। इसमें बताया गया है कि कुल आठ मशीनों में से 4 बंद हैं तो 4 से जांच हो रही है। चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा और जस्टिस रजनी दुबे की डिवीजन बेंच ने इस पर क?ी आपत्ति जताते हुए स्वास्थ्य विभाग के अतिरिक्त प्रमुख सचिव के साथ ही छत्तीसग? मेडिकल कार्पोरेशन सर्विस कंपनी को शपथपत्र के साथ जवाब मांगा था। सभी सभी जांच समय पर होने की जानकारी शासन ने दी थी। इसका परीक्षण करने के लिए कोर्ट ने एडवोकेट सूर्या कवलकर और एडवोकेट पलाश तिवारी को कोर्ट कमिश्नर बनाया था। कोर्ट ने लैब में स्थापित मशीनों का नाम एवं पिछले दो वर्षों में रिएजेंट कब-कब प्राप्त हुआ, कुल जाँच की संख्या और किन-किन मशीनों का  रिएजेंट समाप्त हो चुका है, उसका मांग पत्र कब भेजा गया है अथवा नहीं एवं रिजेन्ट की उपलब्धता की वर्तमान स्थिति पर जवाब मांगा था। गौरतलब है कि जिला अस्पताल के मातृ एवं शिशु अस्पताल में प्रतिदिन 60 से 70 मरीज आते हैं। तीन महीने में 4263 मरीज निजी लैब जा चुके हैं।

नई मशीनें भी बंद, दुर्ग की कंपनी ने की थी सप्लाई
दोनों कोर्ट कमिश्नरों ने जिला अस्पताल पहुंचकर स्वास्थ्य विभाग द्वारा दिए गए जवाब और व्यवस्था का जायजा लिया था। जांच में पाया गया कि जितनी भी टोल टेस्टिंग की मशीनें हैं वह बंद पड़ी है। रिपोर्ट में कहा गया है कि कुल 8 मशीनें जिला अस्पताल में है जिसके माध्यम से जांच होती है। लेकिन खरीदी गईं 4 नई मशीनें बंद पड़ी हैं। कोर्ट कमिश्नरों ने अपनी जांच रिपोर्ट में इस बात का भी उल्लेख किया है कि हालांकि इसमें कहा गया है कि थायराइड की जांच सेमी आटोमेटिक मशीन से हो रही है लेकिन लाखों में खरीदी गईं आटोमेटिक मशीनें बंद हो गई हैं। ध्यान रहे कि जिला अस्पताल में जो चार नई मशीनें सप्लाई हुईं है वह दुर्ग की मोक्षित कारपोरेशन द्वारा दी गईं हैं।

गर्भवती महिलाओं को ज्यादा समस्या
हाईकोर्ट में यह बात भी सामने आई कि जिला अस्पताल में इस अव्यवस्था के चलते सबसे ज्यादा समस्या गर्भवती महिलाओं को परेशानी हो रही है। गर्भवती महिलाओं व अन्य मरीजों को बाहर निजी लैब में जांच करवानी पड़ रही है। अस्पताल प्रबंधन द्वारा सीजीएमसी को कई बार पत्र लिखा जा चुका, लेकिन ध्यान नहीं दिया जा रहा।

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