Movie Review: प्रेम की नई परिभाषा गढ़ती है फ़िल्म ‘प्यार के दो नाम’, शानदार लगीं भव्या सचदेवा

फ़िल्म : प्यार के दो नाम 
कलाकार: भव्या सचदेवा (Bhavya Sachdeva), अंकिता साहू (Ankita Sahu), कनिका गौतम (Kanika Gautam), अचल टंकवाल (Achal Tankwal)
निर्देशक: दानिश जावेद (Danish Javed)
निर्माता: विजय गोयल (Vijay Goyal), दानिश जावेद  (Danish Javed)
रेटिंग : 3.5*

प्यार के दो नाम – बॉलीवुड में कहानी कहने के नए अंदाज को अब सिनेमा के माध्यम से दर्शकों के सामने लाया जा रहा है। 3 मई को सिनेमाघरों में रिलीज हुई फ़िल्म "प्यार के दो नाम" दानिश जावेद द्वारा निर्देशित एक ऐसा ही सिनेमा है। वैसे देखा जाए तो फ़िल्म एक प्यारी सी लव स्टोरी है मगर इसमें गांधी जी और नेल्सन मंडेला के विचारों का टकराव भी दर्शाया गया है। प्रेम की नई परिभाषा गढ़ती यह फ़िल्म आज के युग की एक अनोखी प्रेम कहानी है। 

 

कहानी
फ़िल्म की स्टोरी अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में आयोजित हो रहे 'शांति' पर एक सेमिनार के इर्द-गिर्द घूमती है। एक दूसरे से पागलों की तरह प्यार करने वाले कबीर और साइमा को सेमिनार में यूनिवर्सिटी के आतिथ्य का ख्याल रखने के लिए चुना जाता है। कायरा सिंह और आर्यन खन्ना इस सेमिनार में भाग लेने आते हैं, दोनों के विश्वविद्यालयों ने उन्हें उनके संबंधित आदर्शों के लिए शांति पुरस्कार जीतने के लिए भेजा है और उनकी जीत या हार यूनिवर्सिटी में उनके करियर का फैसला करेगी। इसलिए पुरस्कार जीतना उन दोनों के लिए “करो या मरो” की स्थिति है। आर्यन को नेल्सन मंडेला और कायरा को महात्मा गांधी पर अपनी रिसर्च प्रस्तुत करनी है।

 

इत्तेफाक से उन्हें एक ही गेस्ट हाउस में एक दूसरे के सामने वाले कमरों में रहने के लिए कहा जाता है। हालांकि आर्यन को पहली नजर में ही कायरा पसंद आने लगती है लेकिन दोनों के बीच विचारों की एक लड़ाई भी शुरू हो जाती है। कायरा तय करती है कि उसकी जिंदगी में आर्यन के लिए कोई जगह नहीं है और वो आर्यन के सामने अपनी नफरत भी जाहिर करती है। कहानी में मोड़ तब आता है जब दो प्रेमियों के बीच दो दर्शनों की लड़ाई शुरू होती है। आपको कहानी का अंत जानने के लिए फ़िल्म देखनी होगी। 

 

निर्देशन
फ़िल्म एक दूजे के लिए या "एक दूजे के साथ" टैगलाइन पर बेस्ड है। इश्क सुभान अल्लाह, सूफियाना प्यार मेरा और सन्यासी मेरा नाम जैसे टीवी शोज़ के लेखक दानिश जावेद ने इस आधुनिक प्रेम कहानी का कुशल निर्देशन किया है। जिसमे उन्होंने नेल्सन मंडेला और महात्मा गांधी के प्रेम दर्शन और उनके विचारों को सामने रखा है। पूरी फिल्म अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में फिल्माई गई है। 

 

एक्टिंग
भव्या सचदेवा और अंकिता साहू की केमिस्ट्री फ़िल्म में नेचुरल दिखाई देती है। इसका क्रेडिट भी डायरेक्टर दानिश जावेद को जाता है। दोनों की नोकझोंक हो या लव मेकिंग सीन हों, या गाने हों दोनों ने कमाल का काम किया है वहीं कनिका गौतम और अचल टंकवाल से भी निर्देशक ने अच्छी अदाकारी करवाई है। शेष कलाकारों ने भी प्रशंसीय अभिनय किया है।

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