अब ED तैयारी में आलमगीर को घेरने की

रांची। लोकसभा चुनाव के मध्य में ही मंत्री आलमगीर आलम के करीबियों के आवास से करोड़ों रुपये की बरामदगी ने सत्ताधारी गठबंधन पर सवाल उठा दिए हैं। राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि बरामद रुपये पिछले दो-तीन महीनों में प्रखंड विकास पदाधिकारियों के तबादलों से अर्जित राशि है।

आलमगीर को घेरने की ईडी की तैयारी

इस राशि का इस्तेमाल अभी चुनाव के दौरान होना था। कुछ ऐसे ही प्रमाण ईडी को भी प्राप्त हुए हैं। इन प्रमाणों के आधार पर अब ग्रामीण विकास मंत्री आलमगीर आलम को घेरने की कवायद में ईडी जुट गई है।

रुपयों की बरामदगी पर आलमगीर का बयान

अपने पीएस के नौकर के आवास से इतनी बड़ी धन राशि बरामद होने पर मंत्री आलमगीर आलम ने कहा कि वह सरकारी मुलाजिम है और उसके खिलाफ सरकार नियमानुसार कार्रवाई करेगी।

संजीव लाल को हटाने के सवाल पर मंत्री ने कहा कि निश्चित तौर पर उन्हें हटाया जाएगा। वहीं प्रदेश कांग्रेस प्रभारी गुलाम अहमद मीर ने कहा कि ईडी के आधिकारिक बयान पर पार्टी कोई विचार देगी। इसके पूर्व मंत्री आलमगीर आलम ने कहा कि कौन क्या कह रहा है, वे यह नहीं जानते। जिस संजीव लाल बारे में कहा जा रहा है वह सरकारी पदाधिकारी हैं और उन्हें अपना पीएस उनके अनुभव को देखते हुए बनाया गया था ताकि विभागीय कार्य सुचारू रूप से चले। पीएस संजीव लाल को निश्चित तौर पर हटाने की बात भी आलम ने कही है।

संजीव लाल पहले भाजपाई मंत्रियों के पीए थे
 
झारखंड प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष राजेश ठाकुर ने कैश बरामदगी को लेकर कहा कि वे संजीव कुमार के नौकर के लिए बयान देने के लिए अधिकृत नहीं हैं। यह पहले स्पष्ट होना चाहिए कि मंत्री आलमगीर के पीएस के यहां मिला है या नौकर के यहां मिला है। दूसरी बात यह है कि संजीव लाल पहले किस-किस के पीएस रहे थे। वे भाजपा नेता और मंत्री रह चुके सीपी सिंह और विमला प्रधान के पीएस भी रहे हैं।

ठाकुर ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने यह कैसे समझ लिया कि यह 15 दिनों का पैसा होगा, एक महीने का या चार साल का होगा। यह 10 साल का भी हो सकता है। प्रधानमंत्री जिस तरह से एजेंडा सेट कर रहे हैं, उससे लगता है कि प्रधानमंत्री ने पहले स्वतंत्र एजेंसी को गुलाम बनाया और अब उस गुलाम एजेंसी के बास बनकर बात कर रहे हैं।

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