PM मोदी ने 182 मीटर ही क्यों रखी स्टैच्यू ऑफ यूनिटी की ऊंचाई?

गुजरात में सरदार वल्लभ भाई पटेल की 182 मीटर ऊंची दुनिया की सबसे बड़ी मूर्ति बनकर तैयारी होने वाली है. गुजरात के मुख्यमंत्री रहते हुए मोदी चाहते थे कि सरदार वल्लभ भाई पटेल की एक ऐसी प्रतिमा बने जो दुनिया में सबसे ऊंची हो. नरेंद्र मोदी का सबसे बड़ा सपना पूरा होने जा रहा है. 
पटेल की ये 182 मीटर ऊंची मूर्ति दुनिया की सबसे ऊंची मूर्ति है. इसके आगे ना तो 120 मीटर ऊंची चीन वाली स्प्रिंग बुद्ध मूर्ति टिकती है, ना ही 90 मीटर ऊंची न्यूयॉर्क की स्टैच्यू ऑफ लिबर्टी. 
इस मूर्ति के निर्माण के लिए केंद्र में मोदी सरकार बनने के बाद अक्टूबर 2014 में लार्सेन एंड टर्बो कंपनी को ठेका दिया गया. इस काम को तय समय में अंजाम तक पहुंचाने के लिए 4076 मजदूरों ने दो शिफ्टों में काम किया. इसमें 800 स्थानीय और 200 चीन से आए कारीगरों ने भी काम किया. 
इस मूर्ति से पटेल की वो सादगी भी झलकती है जिसमें सिलवटों वाला धोती-कुर्ता, बंडी और कंधे पर चादर उनकी पहचान थी. ये सब कुछ मूर्ति में ढल चुका है. 
इस विशाल प्रतिमा की ऊंचाई 182 मीटर है. इसकी वजह ये है कि गुजरात में विधानसभा की 182 सीटें हैं और उन सबकी नुमाइंदगी इस मूर्ति में दिखाने की कोशिश हुई है. इस प्रतिमा को लेकर 2019 चुनाव के लिए भी राजनीतिक कयास लगाए जा रहे हैं. 
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हिंदुस्तान के पहले गृह मंत्री और उप प्रधानमंत्री सरदार वल्लभ भाई पटेल के नाम और पहचान के इतने बड़े कायल हैं कि वो पटेल की दुनिया की सबसे बड़ी मूर्ति बनवा रहे हैं, जिसका उद्घाटन प्रधानमंत्री खुद पटेल की जयंती पर 31 अक्टूबर को करेंगे.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुजरात का मुख्यमंत्री रहते ही ऐलान किया था कि नर्मदा जिले में सरदार पटेल की इतनी बड़ी और भव्य मूर्ति बनेगी, जिसके सामने स्टैच्यू ऑफ लिबर्टी भी फीकी लगेगी. इसका विधिवत ऐलान 2013 में हुआ था. 
सरदार पटेल की शख्सियत में वो दम था कि उनको सम्मान से लौह पुरुष कहा जाता था. इसीलिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश के कोने- कोने से लोहा मांगा था ताकि वो लोहा पटेल की मूर्ति को फौलादी बना दे. 
अब ये इत्तेफाक है या कुछ और, लेकिन पटेल की मूर्ति का शिलान्यास भी तभी हुआ था, जब लोकसभा का चुनाव होने वाला था और उद्घाटन भी तभी होने जा रहा है, जब 2019 की चुनावी आहट देश सुनने लगा है. 
सरदार पटेल की महान शख्सियत पर भावुकता और आदर की राजनीति भी अगले चुनाव में काम आ सकती है.

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