बागी बिगाड़ेंगे भाजपा और कांग्रेस का गणित

भोपाल । लोकसभा चुनाव में भाजपा और कांग्रेस के कई बागी नेता भी ताल ठोक रहे हैं। जातिगत समीकरणों से प्रभावित होने वाली चंबल और विंध्य क्षेत्र की 5 सीटों पर भाजपा और कांग्रेस के बगावती नेताओं ने दोनों पार्टियों का गणित बिगाड़ दिया है। ये जीतने में भले कामयाब न हों, लेकिन जातिगत वोटों की गोलबंदी कर हार-जीत के मार्जिन को घटा या बढ़ा सकते हैं।
भाजपा ने ग्वालियर ग्रामीण के पूर्व विधायक भारत सिंह कुशवाह को लोकसभा का टिकट दिया है, जिन्हें कांग्रेस के साहब सिंह गुर्जर ने 2023 के चुनाव में हराया था। कुशवाह के खिलाफ गुर्जर समाज गोलबंद हैं। कांग्रेस से ग्वालियर पूर्व सीट से हारे प्रवीण पाठक मैदान में हैं, जिन्हें नारायण सिंह कुशवाह ने चुनाव हराया था। कांग्रेस से दावेदारी में आगे रहे पूर्व सांसद रामसेवक गुर्जर टिकट कटने से खफा चल रहे हैं। ऐसे में कांग्रेस से जुड़े एक प्रॉपर्टी कारोबारी कल्याण सिंह गुर्जर अचानक बसपा के टिकट पर मैदान में कूद गए हैं। सूत्रों के मुताबिक बसपा से गुर्जर को टिकट दिलाने के पीछे भाजपा की रणनीति है, ताकि कांग्रेस को एकमुश्त मिलने वाले गुर्जर वोटों में सेंध लगाई जा सके।
मुरैना-भिंड में बागी काटेंगे वोट
भाजपा ने नरेंद्र सिंह तोमर के समर्थक दिमनी के पूर्व विधायक शिवमंगल सिंह तोमर को उतारा है। कांग्रेस ने सुमावली से भाजपा के पूर्व विधायक रहे सत्यपाल सिंह सिकरवार (नीटू) को टिकट दिया है। दोनों प्रत्याशी क्षत्रिय समाज से आते हैं। कांग्रेस के टिकट की दौड़ में शामिल रहे रमेश गर्ग ने बगावती रुख अपनाते हुए बसपा के टिकट पर ताल ठोक दी है। वे कांग्रेस के शहरी वोटर्स के साथ ही भाजपा के परंपरागत वैश्य वर्ग के मतों में सेंध लगा सकते हैं। भिंड सीट अजा के लिए आरक्षित है। भाजपा ने मौजूदा सांसद संध्या राय और कांग्रेस ने फूलसिंह बरैया को उतारा है। टिकट कटने से खफा कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता व 2019 में प्रत्याशी रहे देवाशीष जरारिया बसपा के टिकट पर चुनाव में कूद गए हैं। अनुसूचित जाति के मतदाताओं के वोट तीन भागों में बंट जाने से चुनाव में सवर्ण वोटर किंग मेकर की भूमिका में हैं। सतना से भाजपा सांसद गणेश सिंह पांचवी बार मैदान में हैं। वहीं कांग्रेस ने सतना विधायक सिद्धार्थ कुशवाह को उतारा है, जो गणेश सिंह को विधानसभा चुनाव में हरा चुके हैं। ब्राह्मण बहुल सीट पर दोनों पार्टियों ने ओबीसी उतारे हैं। वहीं मैहर से भाजपा के पूर्व विधायक नारायण त्रिपाठी बसपा के टिकट पर मैदान में कूद गए हैं।
सीधी में त्रिकोणीय मुकाबला
पेशाब कांड के कारण चर्चित रहे इस इलाके में भाजपा को बगावत झेलनी पड़ रही है। जातिगत गोलबंदी यहां चुनावों में आम बात है। सर्वाधिक आबादी ब्राह्मण और ओबीसी वर्ग की है। भाजपा ने मौजूदा विधायक रीति पाठक को विधानसभा भेजकर डॉ. राजेश मिश्रा को टिकट दिया है। कांग्रेस ने ओबीसी कुर्मी समाज से आने वाले पूर्व मंत्री कमलेश्वर पटेल को मैदान में उतारा है। यहां ठाकुर मतदाताओं के अलावा कोल और गोंड आदिवासी भी अच्छी खासी तादाद में हैं। भाजपा के पूर्व राज्यसभा सदस्य अजय प्रताप सिंह पार्टी छोडक़र गोंडवाना गणतंत्र पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं, जो ठाकुर और आदिवासी वर्ग के वोटों में सेंध लगाकर कांग्रेस और भाजपा दोनों के ही समीकरणों को प्रभावित कर रहे हैं।

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