SC: तीन तलाक मुस्लिमों में शादी खत्म करने का सबसे खराब और शर्मनाक तरीका

मुस्लिमों में ट्रिपल तलाक के मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान एडिशनल सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि केंद्र हर तरह के ट्रिपल तलाक के खिलाफ है और वो बहुविवाह के साथ-साथ हर मुद्दे पर लैंगिग समानता चाहता है। इस मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट ने अपनी तीखी प्रक्रिया देते हुए कहा कि तीन तलाक इस्लाम में शादी खत्म करने का सबसे खराब और शर्मनाक तरीका है।
 
गौरतलब है कि शरियत पर आधारित मुस्लिम पर्सनल लॉ में पति 3 बार 'तलाक' बोल कर अपनी पत्नियों से अलग हो सकते हैं। मौजूदा कानून के अनुसार, लिखित रूप में भी इस तरह तलाक दिया जा सकता है। मुख्य न्यायाधीश जस्टिस जेएस खेहर की अध्यक्षता वाली 5 बेंचों की पीठ ने इस मामले के अलावा 7 याचिकओं में सुनवाई की, जिसमें से 5 मुस्लिम महिलाओं ने बहुविवाह, निकाह हलाला और तीन तलाक के खिलाफ दायर की थी।

एकतरफा है तीन तलाक: जेठमलानी

गुरुवार को उच्चतम न्यायालय ने मुस्लिम समुदाय से पूछा कि क्या तीन तलाक का कोई विकल्प मौजूद है या नहीं। वरिष्ठ वकील राम जेठमलानी ने कहा कि तीन तलाक एक तरफा है, क्योंकि इसका अधिकार सिर्फ मर्दों के पास है और औरतों को यह हक नहीं है। जेठमलानी ने दलील दी कि यह नियम अनुच्छेद-14 का उल्लंघन है। एएसजी मेहता ने कहा कि पीएम ने भी हाल ही में मुस्लिम समुदाय से इस समस्या का हल निकालने की अपील की थी।

मुस्मिल महिलाओं के संगठनों ने भी इसे एक तरफा माने हुए कहा कि यह नियम महिला विरोधी है, जिसको खत्म किया जाना चाहिए। इसके अपनाने से महिलाओं के साथ शोषण और भेदभाव हो रहा है। इससे पहले सलमान खुर्शीद ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड इस पर कदम उठाए कि ट्रिपल तलाक घिनौना कृत्य है लेकिन ये अब तक वैध्य है। 10 दिन तक चलने वाली इस सुनवाई में यह तय किया जाएगा कि ट्रिपल तलाक धर्म का हिस्सा है या नहीं है।

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