भगवान महावीर की प्रतिमा के आगे लगा, सबसे ऊंचा मटका, श्रीफल बना लोगों के लिए आकर्षण का केंद्र

भारत-पाकिस्तान सीमा पर बसे बाड़मेर में धर्म के प्रति लोगों की आस्था और अगाध विश्वास के चर्चे हर तरफ होते हैं. इन चर्चाओं के दौर में अब एक नया अध्याय जुड़ा है. भव्य कलश और श्रीफल का. दरअसल, बाड़मेर के कुशल वाटिका तीर्थ में विश्व की सबसे बड़ी भगवान महावीर की मूर्ति निर्माणाधीन है और उस भव्य पंडाल के ठीक सामने भव्य कलश और श्रीफल की स्थापना की गई है.

जमीन से 30 फीट ऊंचे कलश और श्रीफल की स्थापना आचार्य भगवंत मणि प्रभ सागर महारसा की प्रेरणा से बन रहे इस पूरे प्रकल्प की डॉक्टर विधुतप्रभा श्री जी देखरेख कर रहे हैं. इस साल का चातुर्मास भी इनका इसी कुशल वाटिका ट्रस्ट में था. इस प्रकल्प के पूरे निर्माण में 2 साल लगेंगे लेकिन इस कलश और श्रीफल को देखने के लिए लोग हर शनिवार भारी तादात में बाड़मेर, चौहटन, धोरीमन्ना सहित विभिन्न गांवों से आते है.

जैन धर्म का बना तीर्थ स्थल
जैन समुदाय में इस जगह के प्रति गहरी आस्था भी है. जैन समाज के लाखों लोगों की श्रद्धा और आस्था का स्थान कुशल वाटिका अपने नवग्रह मंदिर और दादा गुरुदेव मंदिर की वजह से काफी प्रसिद्ध है. भगवान महावीर की 152 फिट ऊंची इस मूर्ति की स्थापना के साथ ही यहां संग्रहालय और दादाबाड़ी का निर्माण किया जा रहा है. वर्तमान में यहां गुजरात, राजस्थान, छतीसगढ़ और मध्यप्रदेश से जैन धर्म के लोग दर्शन के लिए वर्षभर आते रहते हैं. बाड़मेर आज जैन धर्म का बड़ा तीर्थ स्थल बन चुका है.
 

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