सिखों की मांगें मानने वालों को मिलेगा अकाली दल का साथ

नई दिल्ली। लोकसभा चुनाव में शिरोमणि अकाली दल (शिअद बादल) दिल्ली में फिलहाल किसी भी पार्टी को समर्थन नहीं देगा। पार्टी ने सिखों से संबंधित पांच मांगें राजनीतिक दलों के सामने रखेगी। उन मांगों पर सहमति जताने वाली पार्टी को अकाली दल का समर्थन मिलेगा। पिछले लोकसभा चुनाव तक भाजपा व शिअद बादल के बीच समझौता रहता था। अब गठबंधन टूट चुका है। अकाली दल ने दिल्ली में अपना कोई उम्मीदवार भी नहीं उतारा है।

नई सरकार के सामने उठाया जाएगा 1984 के सिख विरोधी दंगा का मामला

अकाली दल की पांच मांगों 1984 के सिख विरोधी दंगे के दोषियों को सजा दिलाने का विषय शामिल नहीं है। पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष परमजीत सिंह सरना ने प्रेसवार्ता में कहा कि नई सरकार के सामने 1984 के सिख विरोधी दंगा का मामला उठाया जाएगा।

पार्टी के कार्यकारणी सदस्य मंजीत सिंह जीके ने कहा कि कानूनी लड़ाई में दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी इस मामले में एक पक्ष है। डीएसजीएमसी का अध्यक्ष रहते हुए उन्होंने और सरना ने इसके लिए संघर्ष किया और कई दोषियों को सजा दिलाई। इसे लेकर नरेन्द्र मोदी सरकार ने एसआइटी गठित की, जिसका लाभ मिला। डीएसजीएमसी का वर्तमान प्रबंधन पीड़ितों को सजा दिलाने के लिए गंभीरता से काम नहीं कर रही है।

  1. शिअद बादल की पांच मांगें
  2. सजा पूरी कर चुके सिखों की रिहाई।
  3. किसानों की मांग पूरी की जाए। किसानों की अपनी फसल देश के बाहर भी बेचने की अनुमति मिले।
  4. ननकाना साहिब के लिए आगमन पर वीजा की उपलब्धता।
  5. सिखों के धार्मिक संस्थाओं पर सरकार हस्तक्षेप न करे।
  6. अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की रक्षा की जाए।

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