UP चुनाव : पहली बार रायबरेली से सोनिया ने बनाई दूरी, राहुल ने संभाली कमान

नई दिल्ली : वर्ष 1998 में सोनिया ने राजनीति में कदम रखा, खुद अपने पति की कर्मभूमि अमेठी को चुना और राजीव गांधी के करीबी सतीश शर्मा को अपनी सास इंदिरा की कर्मभूमि रायबरेली भेज दिया। बाद में वर्ष 2004 में जब राहुल राजनीति में आये, तो सोनिया ने राहुल को राजीव की विरासत अमेठी सौंप दी और खुद रायबरेली को चुन लिया। यानी वर्ष 1998 से अब तक गांधी परिवार के गढ़ अमेठी रायबरेली में कांग्रेस सोनिया की सरपरस्ती में चलती रही। हालांकि पिछले कुछ सालों से खराब सेहत के चलते सोनिया ने अमेठी- रायबरेली के साथ-साथ अपनी राजनीति को भी सीमित कर दिया। अमेठी में राहुल, तो रायबरेली में प्रियंका सियासी फैसले करने लगे।

प्रियंका ने भी महज झलक ही दिखाई
हाल के 5 राज्यों के विधानसभा चुनावों में सोनिया ने प्रचार न करने का फैसला किया लेकिन संसद भवन परिसर में मीडिया से कहा कि वो बाकी कहीं प्रचार करें न करें लेकिन रायबरेली जरूर प्रचार करने जाएगी। सूत्रों के मुताबिक20 फरवरी को सोनिया की रैली का कार्यक्रम भी तय हुआ, प्रियंका का भी कार्यक्रम बना लेकिन सोनिया की खराब सेहत और प्रियंका की व्यक्तिगत व्यस्तता के चलते दोनों रायबरेली नहीं आयी। राहुल के साथ 17 फरवरी को महज एक दिन प्रियंका ने 2 जगह मंच सांझा किया और उसमें भी सिर्फ एक जगह 5 मिनट का भाषण दिया। सियासत में आने के 19 साल बाद पहली बार रायबरेली ने किसी चुनाव में सोनिया को नहीं देखा।

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