कुशल पेशेवरों के लिए आईटी क्षेत्र में हैं आसीम संभावनाएं  

दुनिया भर में आईटी सेक्टर यानी सूचना-प्रौद्योगिकी क्षेत्र लगातार निखर रहा है। इसमें भारत भी पीछे नहीं है। देश में आधी  से ज्यादा आबादी 27 साल से कम उम्र की है। इसके साथ ही भारत में अंग्रेजी बोलने और इंटरनेट चलाने वालों की संख्या बहुत ज्यादा है।
सूचना प्रौद्योगिकी दरअसल संचार सूचना और इसकी प्रौद्योगिकी से जुड़ी है। इसमें कंप्यूटर-आधारित सभी सूचनाओं का प्रबंधन करना पड़ता है। ऐसे में एक अच्छा आईटी इंजीनियर बनने के लिए जरूरी है कि आप कंप्यूटर की बारीक जानकारियों से परिचित हों, साथ ही इससे जुड़े शोध, क्रियान्वयन, विकास और प्रबंधन पर भी आपकी नजर हो।
योग्यता
आईटी इंजीनियर बनने के लिए कम्पयूटर साइंस में बीई या बीटेक करना फायदेमंद है। यह चार वर्षों का कोर्स है, जिसमें आठ सेमेस्टर होते हैं। किसी प्रतिष्ठित विश्वविद्यालय से आईटी इंजीनियरिंग में डिग्री करियर के लिहाज से काफी अच्छी मानी जाती है। डिप्लोमा हासिल करके भी आईटी इंजीनियर बना जा सकता है, जो अमूमन छह सेमेस्टर का कोर्स होता है। किसी प्रतिष्ठित कॉलेज में दाखिला लेने के लिए राष्ट्रीय और राज्य स्तर पर विभिन्न बोर्ड द्वारा आयोजित प्रवेश परीक्षा में सफलता पाना जरूरी है। आईटी में मास्टर डिग्री भी हासिल की जा सकती है, लेकिन इसके लिए स्नातक के बाद अगले दो साल तक पढ़ाई जारी रखनी होगी।
किसी अच्छे कॉलेज में दाखिले के लिए 12वीं में अच्छे अंक लाने अनिवार्य हैं। इसमें भौतिकी, रसायन विज्ञान और गणित मुख्य विषय होने चाहिए। डिप्लोमा तो 10वीं पास करके भी हासिल किया जा सकता है। मगर करियर के लिहाज से ये ज्यादा बेहतर नहीं मानी जाती। सूचना प्रौद्योगिकी पाठ्यक्रमों में कंप्यूटर विज्ञान, डेटाबेस और सूचना प्रणाली, नेटवर्किंग और संचार, सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग, एंबेडेड सिस्टम, भौगोलिक सूचना विज्ञान (जीआईएस) और आईटी व सोसाइटी जैसे क्षेत्रों में स्पेशलाइजेशन हासिल की जा सकती है।.
संभावनाएं
आईटी स्नातकों के लिए कई तरह की संभावनाएं हैं। कई कंपनियां हैं, जो सॉफ्टवेयर और हार्डवेयर डेवलपमेंट, एप्लिकेशन और टेस्टिंग से जुड़ी हैं। वे ऐसे स्नातकों की भर्ती खूब करती हैं। इसके अलावा, कई दूसरे क्षेत्रों में भी वे काम कर सकते हैं। वे सॉफ्टवेयर इंजीनियर, हार्डवेयर इंजीनियर, ई-कॉमर्स के प्रोग्रामर, वेब डेवलपर आदि के रूप में अपना करियर बना सकते हैं। दूरसंचार, एरोस्पेस, ऑटोमोटिव सेक्टर, कंप्यूटर नेटवर्किंग जैसे तमाम क्षेत्रों से भी वे जुड़ सकते हैं। गूगल, इंफोसिस, एडोब माइक्रोसॉफ्ट, टीसीएस, बीएसएनएल, विप्रो, एचसीएल टेक्नोलॉजीज, ओरेकल फाइनेंशियल सर्विस जैसी तमाम नामी-गिरामी कंपनियों के दरवाजे आईटी इंजीनियरों के लिए खुले रहते हैं। आप चाहें तो शोध व अनुसंधान का रास्ता भी चुन सकते हैं। 
सरकारी-गैर सरकारी कई कंपनियां शोध-कामों के लिए आईटी इंजीनियरों को नियुक्त करती हैं। विशेषज्ञ मानते हैं कि आईटी सेक्टर एक ऐसा सेक्टर है, जिसमें लगातार ग्रोथ की संभावनाएं हैं, क्योंकि इंटरनेट पर हमारी निर्भरता लगातार बढ़ती जा रही है, इसलिए स्किल्ड यानी कुशल पेशेवर लोगों की इसमें काफी जरूरत होगी।
आउटसोर्सिंग 
आज वक्त नॉलेज प्रोसेस आउटसोर्सिंग का है, यानी हम कहीं अधिक स्पेशलाइज्ड और ज्ञान-आधारित कामों में विदेशी कंपनियों की मदद करने लगे हैं। इसी का परिणाम है कि यहां आधार, यूनिफाइड पेमेंट इंटरफेस (यूपीआई), ई-साइन, ई-नेशनल एग्रीकल्चर मार्केट (ई-नाम), गवर्नमेंट ई-मार्केटप्लेस (जेम) जैसे इन्फ्रास्ट्रक्चर तैयार किए गए हैं।
डेटा एनालिटिक्स और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (कृत्रिम बौद्धिकता) के माध्यम से लोगों को बुनियादी सुविधाएं पहुंचाने की कोशिश हो रही है। बिग डेटा, प्रोग्रेमेटिक, पैटर्न एनालिसिस, क्लाउड कम्युनिकेशन, रोबोटिक्स और इंटरनेट ऑफ थिंग्स (आईओटी) जैसे शब्द बोलचाल का हिस्सा बनने लगे हैं।
आय
स्नातक के बाद आईटी इंजीनियर की आमतौर पर 15 से 20 हजार रुपये प्रति महीने की नौकरी लग जाती है। इसके बाद अनुभव और काम करने की दक्षता से उसकी तरक्की सुनिश्चित होती है। मैनेजमेंट स्तर पर पहुंचने के बाद सैलरी प्रति महीने लाख रुपये से भी अधिक हो सकती है।
प्रमुख संस्थान
धीरूभाई अंबानी इंस्टीट्यूट ऑफ इन्फॉर्मेशन एंड कम्युनिकेशन टेक्नोलॉजी, गांधीनगर 
बिरला प्रौद्योगिकी संस्थान, रांची और पटना
राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान, कर्नाटक सुरत्कल 
मोतीलाल नेहरू राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान इलाहाबाद, प्रयागराज 
मणिपाल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, मणिपाल 
जादवपुर विश्वविद्यालय, कोलकाता 
वीरमाता जीजाबाई टेक्नोलॉजिकल इंस्टीट्यूट, मुंबई 
 

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