कालेधन के खिलाफ PM मोदी की बड़ी जीत, स्विस बैंकों में जमा भारतीयों की रकम हुई आधी
सालाना आंकड़ों की मानें तो साल 2006 के समय भारतीयों का सबसे ज्यादा धन स्विस बैंकों में था। उस समय भारतीयों ने स्विस बैंकों में 23000 करोड़ की रकम जमा कर रही थी। पर ये धीरे धीरे गिरी। साल 2011 और साल 2013 में स्विस बैकों में भारतीयों ने पैसे भरे थे, जो क्रमश: 12 फीसदी और 42 फीसदी बढ़ी थी। पर साल 2016 में भारतीयों से स्विस बैकों से सर्वाधिक 45 फीसदी की धनराशि निकाली। इसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कालेधन की वापसी को लेकर चलाए गए बड़े मुहिम से जोड़कर देखा जा सकता है।
स्विट्जरलैंड के केंद्रीय बैंक द्वारा जारी किए गए आंकड़ों के मुताबिक भारतीय कालेधन के कुबेरों के 676 मिलियन स्विस फ्रैंक बैंकों में जमा है, जो भारतीय रुपए में 4,500 करोड़ की धनराशि बैठती है। ये पिछली अवधि के मुकाबले आधी है।
Indians' money in Swiss banks nearly halve to CHF 676 mn or about Rs 4,500 crore: Switzerland's central bank data.
— Press Trust of India (@PTI_News) June 29, 2017
खास बात ये है कि भारतीय लोगों ने सीधे अपने नाम 665 मिलियन फ्रैंक स्विस बैंकों में जमा किए हैं, जबकि ट्रस्टों के नाम पर 11 मिलियन डॉलर जमा हैं। ये धनराशि पुरानी राशि के बराबर ही है।
Indians' money held directly in #Swiss #banks down at CHF 665 million, funds through fiduciaries almost unchanged at CHF 11 million.
— Press Trust of India (@PTI_News) June 29, 2017
भारतीय कालेधन के कुबेरों के अलावा पाकिस्तानी धन कुबेरों पर भी सरकारी डंडे का डर दिखा है। पाकिस्तानियों ने भी स्विस बैंकों से पैसे निकाले हैं। पर अब भी ये भारतीय धनकुबेरों का दुगुना ही है। पाकिस्तानियों के पास स्विस बैंकों में 1.4 बिलियन फ्रैंक यानि 9500 करोड़ पाकिस्तानी रुपए जमा हैं। स्विस बैंक के डाटा के मुताबिक पूरी दुनिया के धनकुबेरों का 1.48 ट्रिलियन फ्रैंक स्विस बैंकों में जमा है।
#Swiss #banks' total foreign client money rises marginally to USD 1.48 trillion; #funds from Pakistan down at CHF 1.4 bn or Rs 9,500 crore.
— Press Trust of India (@PTI_News) June 29, 2017
गौरतलब है कि भारत सरकार ने विदेशों में कालाधन रखने वालों के लिए आम माफी की योजना चलाई थी, जिसमें काफी धन वापस देश में आया भी था। फिर भी स्विस बैंकों से पूरे पैसों का न निकाला जाना इस बात को दर्शाता है कि भारतीय कालेधन के कुछ कुबेर सरकारी डंडे की मार से भी नहीं डरते।