कुलभूषण पर ICJ के फैसले को पाक ने नहीं माना तो भारत उठा सकता है यह कदम

नई दिल्ली। अंतराष्ट्रीय कोर्ट ने कुलभूषण मामले में भारत को बड़ी राहत देते हुए कुलभूषण की फांसी पर अंतिम सुनवाई तक रोक लगाने के आदेश दिए हैं। हालांकि पाकिस्तान ने इस फैसले को मानने से इन्कार कर दिया है। वहीं दूसरी तरफ कुलभूषण के लिए पाकिस्तान में अपनी फांसी के खिलाफ अपील करने का आज आखिरी दिन है।

पाकिस्तान अगर आज उसे काउंसर एक्सेस नहीं देता है तो परेशानी बढ़ सकती है। हालांकि अंतरराष्ट्रीय कोर्ट ने पाक को चेतावनी दी है कि वो अगर फैसला नहीं मानता है तो उस पर प्रतिबंध लग सकते हैं, इस फैसले के चलते काउंसलर एक्सेस ना दिए जाने पर भारत पाक के खिलाफ संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में अपील कर सकता है और प्रतिबंध की मांग कर सकता है।

पाक का फैसला मानने से इन्कार

आईसीजे के फैसले के बाद पाकिस्तान बौखला गया है और उसने कहा है कि वो इस फैसले को नहीं मानता। पाकिस्तानी विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा है कि इस्लामाबाद राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े मामलों में आईसीजे के न्यायाधिकार को स्वीकार नहीं करता।

आदेश मानने से इन्कार नहीं कर सकता पाक

कुलभूषण जाधव को लेकर अंतरराष्ट्रीय कोर्ट के फैसले के बाद सबसे बड़ा सवाल है कि यह कितना बाध्यकारी है? पाकिस्तान का रुख आशंका ब़ढ़ाता है। लेकिन अगर कानूनी स्थिति देखी जाए तो पाकिस्तान के पास ना-नुकूर की ज्यादा गुंजाइश नहीं है। वह आदेश मानने से इन्कार नहीं कर सकता।

अंतरराष्ट्रीय कोर्ट (आईसीजे) के आदेश की बाध्यता परखने के लिए आईसीजे चार्टर और इंटरयूएन चार्टर के प्रावधानों पर निगाह डालनी होगी।

आईसीजे चार्टर का आर्टिकल 59 कहता है कि इस अदालत का फैसला पक्षकारों पर बाध्यकारी होगा। यानी आईसीजे के समक्ष भारत और पाकिस्तान दोनों पक्षकार हैं। ऐसे में उसका अंतरिम आदेश दोनों देशों पर बाध्यकारी है।

यूएन चार्टर का अनुच्छेद 94 कहता है कि संयुक्त राष्ट्र (यूएन) के सभी सदस्य आईसीजे के आदेश का पालन करेंगे जो उसके समक्ष उस मामले में पक्षकार होंगे। यूएन चार्टर पर हस्ताक्षर करते ही यह प्रावधान हस्ताक्षरकर्ता देश पर लागू हो जाता है। भारत और पाकिस्तान दोनों यूएन के सदस्य हैं।

अनुच्छेद 94 यह भी कहता है कि अगर कोई पक्षकार आईसीजे का फैसला नहीं मानता है तो दूसरा पक्षकार फैसला लागू कराने के लिए संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के पास जा सकता है।

सुरक्षा परिषद को अगर जरूरी लगता है तो वह आईसीजे के आदेश को लागू कराने के लिए कोई भी कार्रवाई कर सकता है। इसके अलावा यूएन चार्टर का अनुच्छेद 25 कहता है कि यूएन के सभी सदस्य सुरक्षा परिषद के फैसले को स्वीकार करेंगे और उसे अमल में लाएंगे।

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