गूगल की मदद से हत्या के आरोप से बरी हुआ छात्र

कानपुर
एक समय था जब लोग कहते थे कि जिसकी कोई मदद नहीं करता, उसकी मदद भगवान करता है लेकिन अब यह कहना शायद गलत नहीं होगा कि भगवान की जगह गूगल ने ले ली है। गूगल जहां लोगों को दुनिया की हर तरह की जानकारी मुहैया कराने में मददगार साबित हुआ है, वहीं इसने हत्या के एक आरोपी युवक को बेकसूर साबित होने में भी मदद की।

इंडियन एयर फोर्स में एक वॉरंट ऑफिसर के बेटे जय प्रताप सिंह उर्फ मोहित को 11 साल के एक लड़के की हत्या के आरोप में पिछले साल गिरफ्तार किया गया था। गुरुवार को अडिशनल डिस्ट्रिक्ट ऐंड सेशंस जज रजत सिंह जैन ने जय प्रताप को बरी कर दिया और यह भी फैसले में कहा कि मामले में पुलिस की भूमिका संदिग्ध है। जज ने डीजीपी को पत्र लिखकर जांच अधिकारी हरि शंकर मिश्रा के खिलाफ कार्रवाई करने की भी मांग की है।

20 अगस्त, 2016 को 6.30 बजे शाम में 11 साल का एक लड़का रेहान गायब हो गया था। दो घंटे के बाद उसका शव पाया गया था, जिससे पता चला था कि उसकी गला काटकर हत्या की गई थी। उस हत्या के आरोप में कानपुर पुलिस ने कॉलेज छात्र जय प्रताप को गिरफ्तार किया था।

गूगल ने कैसे की मदद?
सरकारी वकील ने जो साक्ष्य कोर्ट में दिए थे, उससे पुलिस के दावे मेल नहीं खाते थे। इसके अलावा गूगल से प्राप्त डेटा से पता चला कि जिस समय रेहान की हत्या हुई थी, उस समय जय के आईपी अड्रेस का इस्तेमाल हो रहा था जिससे साबित होता है कि वह अपराध के समय घटनास्थल पर मौजूद नहीं था।

जय ने बताया कि जिस समय 11 साल के लड़के की हत्या हुई, उस समय वह ऐनिमेशन डिजाइन पर ऑनलाइन काम कर रहा था। जय के पैरंट्स ने अपने बेटा की लोकेशन, ऑनलाइन वर्किंग टाइम और उन वेबसाइट्स की डिटेल्स जुटाईं जिनका उसने विजिट किया था। उनलोगों ने गूगल से उसकी ऑनलाइन हिस्ट्री भी जुटाई और अपने बेटे के बचाव में उसे कोर्ट में पेश किया।

गूगल की रिपोर्ट की मुताबिक, जय का आईपी अड्रेस 4 बजे शाम से 11 बजे रात तक इस्तेमाल हो रहा था जिस दौरान उसने कई वेबसाइट्स का विजिट किया। पुलिस ने दावा किया था कि हत्या 6 बजे के करीब हुई। पुलिस ने जय को 26 अगस्त को गिरफ्तार किया जबकि उसकी गिरफ्तारी 30 अगस्त को दिखाई।

बाप का बदला बेटे से लिया

जय प्रताप के वकील ने दावा किया कि उसको एक सब इंस्पेक्टर ने गलत तरीके से फंसाया है। उसी सब इंस्पेक्टर ने जय के पिता भगवान सिंह के खिलाफ एक झूठा मामला दर्ज किया था और उसको बंद करने के लिए पैसे की मांग की थी। भगवान सिंह ने सब इंस्पेक्टर के खिलाफ डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट के पास शिकायत की थी, जिसके बाद सतर्कता विभाग ने मामले की जांच की थी। एसआई ने झूठे मामले में एक फाइनल रिपोर्ट जमा की थी और इसे बंद कर दिया था लेकिन उसने भगवान सिंह को इसका नतीजा भुगतने की धमकी दी थी।

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