निर्भया गैंगरेप के 1585 दिन, लेकिन आज भी सुनाई पड़ती हैं उसकी चीखें
16 दिसंबर 2012 को दिल्ली में 23 साल की पैरामेडिकल की छात्रा के साथ चलती बस में गैंगरेप हुआ. पीड़िता को नाजुक हालत में अस्पताल ले जाया गया. 29 दिसंबर को सिंगापुर में इस छात्रा की अस्पताल में मौत हो गई.
मगर 16 से 29 दिसंबर के बीच इस खबर ने देश और दुनिया को हिलाकर रख दिया था. मीडिया में महिलाओं की सुरक्षा, उन पर होने वाले अत्याचार, भारतीय समाज में महिलाओं की हालत और क़ानून के लचर होने पर ज़बरदस्त बहस हुई. इसके कुछ दिन बाद महिलाओं के उत्पीड़न को लेकर क़ानून को मज़बूती देने का काम शुरू हुआ. देश को हिला देने वाली इस वारदात से लेकर अब तक हुए घटनाक्रम पर एक नजर :
निर्भया कांड: 16 दिसंबर की वो काली रात
जिस समय निर्भया जीवित रहने के लिए संघर्ष कर रही थी, उस समय आम जनता दोषियों को पकड़ने और निर्भया के लिए न्याय की मांग करते हुए सड़क पर उतर रही थी. सभी ने देश में महिलाओं की सुरक्षा को लेकर कदम उठाए जाने और ऐसी घटनाओं को अंजाम देने वालों को कड़ी से कड़ी सजा दिए जाने की मांग की.
देश की संसद में यह मुद्दा ज़ोरदार ढंग से उठा और सत्ता ही नहीं विपक्ष ने भी एक सुर में इसकी निंदा की थी. आमतौर पर एक-दूसरे की आलोचना करने वाले नेता इस मुद्दे पर सदन में ही भावुक होते दिखे.
उस समय संसद में सुषमा स्वराज ने जहां दोषियों को फांसी देने की मांग की तो तब संसद की स्पीकर मीरा कुमार ने भी कड़े शब्दों में घटना की निंदा की. सदन में अपनी बात रखते हुए सांसद जया बच्चन की आंखें भीग गईं थीं.
जानें किसने क्या कहा था
सुषमा स्वराज
सुषमा स्वराज इस पूरी घटना से काफी विचलित हो गई थीं. उन्होंने सदन में कहा था कि 'मैं कई बार कह चुकी हूं कि ऐसे लोगों (रेपिस्ट) को फांसी की सजा देनी चाहिए. स्वराज ने घटना की कड़ी निंदा करते हुए कहा था कि इस तरह की लड़कियां जो घटना का शिकार हुईं, वो न जिंदा रही न मुर्दा रही. वो (निर्भया) जिंदा बच गई तो एक लाश बनकर अपना जीवन जिएगी. वो जीवन और मौत के बीच संघर्ष कर रही है पता नहीं बचेगी या नहीं.' इसके बाद उन्होंने घटना के दोषियों को फांसी की सजा देने की मांग रखी थी.
स्पीकर मीरा कुमार
तब महिला स्पीकर मीरा कुमार ने भी भावुक होते हुए घटना की कड़ी निंदा की थी. स्पीकर ने कहा था कि ये घटना रोंगटे खड़े कर देने वाली है. इस घटना ने पूरे देश और समाज का सिर शर्म से झुका दिया है, हमारा समाज किस ओर जा रहा है जहां स्त्रियों का सम्मान नहीं होता है. साथ ही स्पीकर ने पूरे सदन की ओर से सरकार से सख्त कदम उठाने का निवेदन किया था.
जया बच्चन
झकझोर देने वाले निर्भया कांड पर सदन में भावुक हुईं जया बच्चन ने कहा था, 'मुझे समझ में नहीं आता कि इस मामले में मैं क्या बोलूं. हम इस देश में रहते हैं जहां महिलाओं को देवी माना जाता है, देवी शक्ति के रूप में पूजा जाता है. लेकिन इस घटना ने इन विचारों पर पानी फेर दिया क्योंकि हर रोज इस देश में खासतौर पर दिल्ली में कोई न कोई रेप की घटना सामने आती है, जहां यह शक्ति कुछ कर नहीं पाती. ऐसे दोषियों के खिलाफ सख्त कानून की आवश्यकता है.' ये सब कहते हुए जया बच्चन की आंखें भीग गईं, जिससे सदन में मौजूद कई महिला मंत्री भी भावुक हो गईं.
शीला दीक्षित
दिल्ली की तब मुख्यमंत्री शीला दीक्षित घटना के बाद सफदरजंग अस्पताल गई थीं, जहां सबसे पहले निर्भया को एडमिट किया गया था. बाद में मीडिया से बातचीत में उन्होंने अपनी भावनाएं व्यक्त करते हुए कहा कि वह इतनी हिम्मत नहीं जुटा पा रही थीं कि उस छात्रा के सामने जाकर उसका हालचाल ले सकें. अंत में जब वह युवती के पास पहुंची तो उसकी हालत देखकर उनके रौंगटे खड़े हो गए थे.
साल बदले, हालात नहीं
इस वारदात के बाद हुई तमाम उथल-पुथल और बहसों के बावजूद अगर आंकड़े देखें तो महिलाओं के खिलाफ हिंसा में न तो कमी आई है और न ही उसकी तीव्रता में.
आंकड़े गवाह हैं कि भारत में हर दिन 92 महिलाएं रेप की शिकार होती हैं, जिनमें 4 सिर्फ दिल्ली की होती हैं.