अमेरिका ने ‘हुआवेई’ पर खुफिया जानकारी एकत्र समेत लगाए 13 आरोप

वाशिंगटन । अमेरिकी प्रशासन ने चीन की टेलीकॉम कपंनी ‘हुआवेई’ पर व्यापार संबंधी खुफिया जानकारी चुराने और ईरान पर लगाए गए अमेरिकी प्रतिबंधों का उल्लंघन करने का आरोप लगाया है। ये आरोप ऐसे समय में लगाए गए हैं जब अमेरिका और चीन के बीच 30 और 31 जनवरी को व्यापार वार्ता होने वाली है। बहरहाल व्हाइट हाउस ने सोमवार को इन दोनों घटनाओं के बीच किसी भी तरह का संबंध होने की बात को नकार दिया। अमेरिकी न्याय मंत्रालय ने हुआवेई और उसकी मुख्य वित्तीय अधिकारी (सीएफओ) मेंग वानझोऊ पर वित्तीय धोखाधड़ी सहित 13 आरोप लगाए हैं। कंपनी के संस्थापक की बेटी मेंग फिलहाल जमानत पर हैं और वह कनाडा में हैं। इस मामले से ओटावा और बीजिंग के बीच भी तनाव उत्पन्न हो गया है और वाशिंगटन इसके बीच में है। हुआवेई, उसकी सीएफओ और अन्य कर्मियों पर ईरान में हुआवेई की व्यावसायिक गतिविधियों के बारे में कई वैश्विक वित्तीय संस्थानों और अमेरिकी सरकार पर धोखा देने का आरोप भी लगाया गया है। कार्यवाहक अटॉर्नी जनरल मैथ्यू जी व्हाइटेकर ने कहा आज हम टेलीकॉम कंपनी हुआवेई और उससे जुड़े करीब 20 से अधिक लोगों के खिलाफ आरोप लगाने की घोषणा करते हैं। 
उन्होंने कहा जैसा कि मैंने चीनी अधिकारियों से अगस्त में कहा था, चीन को कानून का पालन करने के लिए अपने नागरिकों और चीनी कंपनियों को जवाब देह बनाना चाहिए। इसके अलावा सिएटल में हुआवेई डिवाइस कंपनी के खिलाफ व्यापार संबंधी खुफिया जानकारी चुराने सहित वायर धोखाधड़ी के सात आरोप और न्याय में बाधा डालने के संबंध में एक आरोप दर्ज किया गया है। आरोपों के अनुसार हुआवेई ने यह चोरी 2012  में शुरू की थी। खुफिया मामलों पर सीनेट की चयन समिति के उपाध्यक्ष सीनेटर मार्क वार्नर ने ट्रम्प प्रशासन की सराहना की और अमेरिका से चीन की आईपी चोरी को व्यापार वार्ता में प्राथमिकता देने का आग्रह किया। 
गौरतलब है कि यूरोपीय संघ में चीन के राजदूत ने सोमवार को कहा था कि चीन की प्रौद्योगिकी कंपनी हुआवेई, पश्चिम की सरकारों द्वारा उसके खिलाफ झूठी अफवाहें फैलाए जाने का शिकार बनी है। यह पश्चिमी देशों की सरकारों की हुआवेई के दुनियाभर में अपनी प्रौद्योगिकी को स्थापित करने से रोकने की कोशिश है। दूसरी ओर, अमेरिका, फ्रांस और अन्य पश्चिमी देशों ने अंदेशा जताया था कि हुआवेई के बेस स्टेशन एवं अन्य उपकरण चीन को दुनियाभर के अहम नेटवर्क बुनियादी ढांचे तक पहुंच प्रदान कर सकते है। संभावना है कि इससे चीन को दूसरे देशों की सरकारों की निगरानी करने का मौका मिल जाए।

Leave a Reply