आतंकवाद रोकने के लिए होगी हदीसों की समीक्षा

रियादः सऊदी अरब ने अभूतपूर्व कदम उठाते हुए हदीसों (पैगंबरो की शिक्षा और कार्य, जैसा कि उनके अनुयायियों ने बताया है) की व्याख्या की समीक्षा के लिए विद्वानों की एक समिति गठित की है। किंग सलमान के  आदेश मुताबिक मदीना में रहने वाले आला विद्वानों के एक अंतर्राष्ट्रीय निकाय का गठन किया गया है, जो हदीस को पेश करने वालों की राय की समीक्षा करेगा ताकि इसका इस्तेमाल हिंसा और आतंकवाद को जायज ठहराने में न किया जाए।

सऊदी अरब के संस्कृति और सूचना मंत्रालय ने कहा है कि किंग सलमान कॉम्प्लेक्स (विद्वानों की परिषद) सही और प्रामाणिक हदीस का विश्वसनीय स्रोत बन जाएगा। मंत्रालय ने कहा है कि आला विद्वान हदीस के नाम पर पेश किए जाने वाले नकली पाठ या पाठों की समीक्षा करेंगे। मक्का और मदीना की दो पवित्र मस्जिदों के संरक्षक सऊदी किंग सलमान ने वरिष्ठ विद्वानों की परिषद के एक सदस्य शेख मोहम्मद बिन हसन अल-शेख को इसकी वैज्ञानिक परिषद का चेयरमैन बनाया है। परिषद के अन्य सदस्यों की नियुक्ति राजकीय आदेश से होगी।

इस्लाम में हदीस धार्मिक कानून और नैतिक मार्गदर्शन के लिए पवित्र कुरान के बाद दूसरा सबसे बड़ा स्रोत है। सामाजिक कार्यकर्ता और लेखक एम. एन. करासेरी ने कहा, 'हदीसों की समीक्षा का कदम स्वागतयोग्य है, क्योंकि इस तरह के आरोप हैं कि इसमें कुछ के साथ छेड़छाड़ गलत इरादे से किया गया।' केरल के नदवातुल मुजाहिदीन (KNM) के राज्य प्रमुख टी. पी. अब्दुल्ला कोया मदनी इस घटनाक्रम पर प्रतिक्रिया देने में सावधानी बरत रहे हैं।

उन्होंने कहा, 'मुझे सऊदी अरब सरकार के फैसले के बारे में जानकारी नहीं है, लेकिन इनकी समीक्षा में कोई बुराई नहीं है खासकर इस बात को ध्यान में रखकर कि इस्लामिक स्टेट जैसे आतंकवादी समूह धार्मिक मान्यताओं का गलत इस्तेमाल कर रहे हैं। कट्टरवादी धार्मिक लिखावटों का इस्तेमाल अपनी बुराई को सही ठहराने के लिए करते हैं।' हदीस को लेकर सख्त रुख अपनाने की वजह से आलोचना के शिकार अब्दुल सलाम सुल्लामी ने कहा, 'किसी हदीस को सिर्फ इसलिए नहीं सही कहा जा सकता कि यह बुखारी में है। आपको बुखारी में विरोधाभासी हदीस मिल सकते हैं। आखिरकार वह भी (इमाम बुखारी) इंसान हैं और गलती करने की संभावना है।'

Leave a Reply