इजरायल ने अंडरग्राउंड टनलों को बनाया निशाना, लड़ाकों के अंदर दबे होने की खबर 

गाजा पट्टी । दुनिया में कोरोना संकट के बीच गाजा में जारी हिंसा के बीच इजरायली सेना ने हमास को अपने जाल में फंसाकर उसके ही घर में निशाना बनाया है। गाजा में जमीन पर हमला किया जाएगा, ताकि हमास अपने लड़ाकों को अंडरग्राउंड टनल में भेज दे। यहां उन सभी पर एक साथ हमला करके भारी नुकसान का जाल बिछाया गया था। इस रणनीति से हमास को नुकसान कितना हुआ, यह साफ नहीं है लेकिन बड़ी संख्या में उसके लड़ाकों के अंदर दब जाने की खबरें आई हैं। इजरायल के लिए ये सुरंगें लंबे वक्त से आफत बनी हुई थीं। हथियारों से लेकर लड़ाकों तक को छिपाने वाली सुरंगें अपने-आप में हैरान करने वाली हैं।
आईडीएफ (इजरायल डिफेंस फोर्स) ने पहले जमीन पर हमले की बात कही, फिर बाद में साफ किया कि उन्होंने सीमा पार नहीं की है। इस हमास को जाल में फंसाने की योजना के तौर पर देखा जा रहा है। रिपोर्ट के मुताबिक टनल से बाहर निकलने पर उग्रवादियों के सामने सैनिक और टैंक तैनात थे, जो नाइट विजन के साथ उनका इंतजार कर रहे थे। उनके पर ऊपर जमीनी और हवाई हमले किए। स्नाइपर और मिसाइल यूनिट्स को भी तैनात किया गया था। आईडीएफ के मुताबिक गाजा सिटी में हमास के टनल्स को उड़ाने के लिए एक जटिल ऑपरेशन को अंजाम दिया गया है। इस ऑपरेशन को 'द मेट्रो' नाम दिया गया। इन सुरंगों को मेट्रो कहा जाता है।
इजरायल या हमास में से किसी ने अभी इस नेटवर्क को हुए नुकसान के बारे में जानकारी नहीं दी है, लेकिन स्थानीय मीडिया के मुताबिक आईडीएफ ने टनल लड़ाकों के ऊपर ही ढहा दिया, जिससे बड़ी संख्या में हमास सदस्यों के दबे होने की संभावना है। रिपोर्ट के मुताबिक ये टनल हमास के लिए बेहद अहम हथियार रहे हैं। 2014 में इजरायल के साथ जंग के बाद से लड़ाके इन्हें हथियार लाने-ले जाने, इजरायल में दाखिल होने, सैनिकों को निशाना बनाने के लिए इस्तेमाल करते रहे हैं। पहला टनल 2007 में गाजा पट्टी और मिस्र के बीच बना था और इसका इस्तेमाल तस्करी के लिए किया जाता था। इससे पहले भी इस तरह के ढांचों से काम लिया जाता था। बाद में इन्हें इजरायल के खिलाफ इस्तेमाल होने लगा। 
इन्हीं टनल से होकर हमास ने 2006 में इजरायली सैनिक जिलाद शालित का अपहरण कर पांच साल तक बंदी बनाकर रखा था। आज यह नेटवर्क इजरायल तक पहुंचता है। यहां हमास रॉकेट और दूसरे हथियार रखता है, संचार स्थापित करता है, लड़ाकों को छिपाता और हमले भी करता है। इजरायल इन्हें खत्म करने की कोशिश लंबे वक्त से करता रहा लेकिन कामयाबी नहीं मिली। दरअसल, इन्हें जमीन के ऊपर से डिटेक्ट करना मुश्किल है। इनकी छत कॉन्क्रीट से बनी है। इन्हें बनाने में 3-9 करोड़ डॉलर की लागत लगी है। इनका इस्तेमाल हमास के अलावा फिलिस्तीन में इस्लामिक जिहाद मूवमेंट भी करता है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि इसके जवाब में हमास ने गाजा से 220 रॉकेट दागे और हेजबुल्ला के नियंत्रण वाले लेबनान से 3 रॉकेट। हालांकि, कोई निशाने पर नहीं लगे। आईडीएफ ने गाजा सिटी में अंडरग्राउंड रॉकेट ठिकानों और हमास के वॉचटावर्स को निशाना बनाया है। आंकड़ों के मुताबिक अभी तक 119 फिलिस्तीनी और 9 इजरायली मारे जा चुके हैं। फिलिस्तीन में मारे गए लोगों में 31 बच्चे और 19 महिलाएं शामिल हैं जबकि इजरायल में एक सैनिक और एक 6 साल के बच्चे की मौत हुई है। फिलिस्तीन में करीब 830 लोग घायल हुए हैं। दोनों ओर से हमले लगातार जारी हैं और कोई भी पीछे हटने को तैयार नहीं है। प्रधानमंत्री नेतन्याहू ने दोहराया है कि उन्होंने हमास के कीमत चुकाने की बात कही थी और वहीं कराया जा रहा है।

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