एयर इंडिया की बिक्री को आसान बनाने की तैयारी, लचीले हो सकते हैं एफडीआई के नियम

सरकार कर्ज में डूबी एयर इंडिया की बिक्री को आसान बनाने के लिए प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) नियमों को लचीला बनाने की तैयारी में है। उद्योग संवर्धन एवं आंतरिक व्यापार विभाग (डीपीआईआईटी) और नागरिक उड्डयन मंत्रालय सरकार के स्वामित्व वाली विमानन कंपनी एयर इंडिया के वास्ते खरीदारों को लुभाने के लिए ऐसा करने पर विचार कर रहे हैं।सरकार लंबे समय से कर्ज में डूबी एयर इंडिया को बेचने की कोशिशें कर रही हैं, लेकिन बोलीदाताओं को लुभाने में कामयाब नहीं हो सकी है। सरकार ने एक बार फिर अगले महीने इसकी बिक्री के लिए बोलियां आमंत्रित करने का फैसला किया है। विमानन क्षेत्र में एमआरओ (रखरखाव, मरम्मत, ओवरहॉल), ग्राउंड हैंडलिंग और एयरक्राफ्ट खरीद के लिए स्वचालित रूट के तहत 100 फीसदी एफडीआई को मंजूरी है।

अधिकारी ने कहा, ‘लेकिन एयरलाइन परिचालन में स्वामित्व और प्रभावी नियंत्रण का एक बड़ा पेंच है। इसलिए हम नीति में लचीलापन लाने के लिए नागरिक उड्डयन मंत्रालय के साथ बात कर रहे हैं।’ उन्होंने कहा, ‘ऐसा लगता है कि यदि 100 फीसदी एफडीआई को मंजूरी दे दी जाए तो एयर इंडिया के बिकने की संभावनाओं पर सकारात्मक असर पड़ेगा। नागरिक उड्डयन मंत्रालय को भी इसकी जानकारी है। हम इस मामले को उनके सामने रखने जा रहे हैं।’

अधिकारी के मुताबिक, विभाग उन क्षेत्रों में नियमों को लचीला बनाने पर विचार कर रहा है, जहां स्वचालित रूट से 100 फीसदी एफडीआई को मंजूरी नहीं मिली है। अधिकारी ने कहा, ‘हम ऐसे क्षेत्रों पर विचार कर रहे हैं और सभी विभागों से नियमों को लचीला बनाने पर बात कर रहे हैं।’ उन्होंने कहा कि डीपीआईआईटी कुछ व्यापार और निवेश संगठनों से उनकी जरूरतें समझने के लिए भी बात कर रहा है। इल बैठक में रक्षा, सूचना एवं प्रसारण, इलेक्ट्रॉनिक्स एवं आईटी और वित्त सहित कई मंत्रालयों के अधिकारी शामिल होंगे।’

एयर इंडिया पर है 58 हजार करोड़ कर्ज

एयर इंडिया पर फिलहाल लगभग 58,000 करोड़ रुपये का कर्ज है। इसके अलावा सरकारी विमानन कंपनी का परिचालन घाटे में बना हुआ है। मंगलवार को होने वाली अंतर-मंत्रालयी बैठक में यह आंकड़ा रखे जाने का अनुमान है। यह समूह विदेशी निवेशकों को लुभाने के लिए एफडीआई नीति को सरल और लचीला बनाने पर चर्चा कर सकता है। 

Leave a Reply