केंद्र सरकार बैकफुट पर, कृषि कानून को डेढ़ साल तक निलंबित रखने का प्रस्ताव

नई दिल्ली । केंद्र सरकार के द्वारा लागू कि गए तीन नए कृषि कानूनों के खिलाफ किसान संगठन दो महीने से आंदोलनरत है। किसान आंदोलन को खत्म करने के एक प्रयास के तहत केंद्र सरकार ने आंदोलनकारी किसान संगठनों के सामने इन कानूनों को एक से डेढ़ साल तक निलंबित रखने और समाधान का रास्ता निकालने के लिए एक समिति के गठन का प्रस्ताव रखा है। हालांकि किसान नेताओं ने सरकार के इस प्रस्ताव को तत्काल तो स्वीकार नहीं किया लेकिन कहा कि वे आपसी चर्चा के बाद सरकार के समक्ष अपनी राय रखेंगे। अब 11वें दौर की बैठक 22 जनवरी को होगी।  किसान आज एक बार फिर सिंघु बॉर्डर पर बैठक करेंगे। बैठक में किसान सरकार के दिए प्रस्ताव और 26 जनवरी को होने वाली ट्रैक्टर रैली पर चर्चा करेंगे। भारतीय किसान यूनियन (उगराहां) के अध्यक्ष जोगिंदर सिंह उगराहां ने कहा कि सरकार ने कृषि कानूनों को डेढ़ साल तक के लिए निलंबित रखने का प्रस्ताव रखा। चूंकि प्रस्ताव सरकार की तरफ से आया है, इसलिए हम इस पर आपस में चर्चा करेंगे और फिर अपनी राय बताएंगे। जमूरी किसान सभा के कुलवंत सिंह संधू ने कहा कि सरकार बैकफुट पर है और वह झुकने के लिए आधार बना रही है।
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को किसानों की ट्रैक्टर रैली में किसी भी तरह की दखल देने से इंकार कर दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि दिल्ली पुलिस इस पर उचित आदेश दे सकती है। साथ ही किसानों ने दिल्ली पुलिस के साथ भी ट्रैक्टर मार्च को लेकर बैठक की थी जिसमें पुलिस ने किसानों को ट्रैक्टर मार्च नहीं निकालने को कहा। दरअसल पुलिस का कहना है कि मार्च की आड़ में कुछ शरारती तत्व इसमें शामिल हो सकते हैं और किसी वारदात को अंजाम दे सकते हं जिससे हालात बेकाबू होने का डर है। बुधवार को लगभग साढ़े पांच घंटे चली 10वें दौर की वार्ता के बाद केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि सरकार ने एक से डेढ़ साल तक इन कृषि कानूनों को निलंबित करने का प्रस्ताव किसानों समक्ष रखा ताकि इस दौरान सरकार और किसान संगठनों के प्रतिनिधि आपस में चर्चा जारी रख सकें और दिल्ली की विभिन्न सीमाओं पर प्रदर्शन कर रहे किसान इस कड़ाके की ठंड में अपने घरों को लौट सकें। उन्होंने कहा कि जिस दिन किसानों का आंदोलन खत्म होगा, वह भारतीय लोकतंत्र के लिए जीत होगी। बता दें कि कृषि कानूनों के अमल पर सुप्रीम कोर्ट ने अगले आदेश तक पहले ही रोक लगा रखी है।
तोमर ने 22 जनवरी को होने वाली अगली बैठक में किसानों का विरोध प्रदर्शन खत्म करने की सहमति तैयार होने को लेकर उम्मीद जताई। इस दौरान किसान संगठन और सरकार के प्रतिनिधि किसान आन्दोलन के मुद्दों पर विस्तार से विचार-विमर्श करके उचित समाधान पर पहुंच जा सकते हैं। केंद्रीय कृषि मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर, रेल, वाणिज्य और खाद्य मंत्री पीयूष गोयल तथा केंद्रीय वाणिज्य राज्य मंत्री सोमप्रकाश लगभग 40 किसान संगठनों के प्रतिनिधियों के साथ यहां विज्ञान भवन में वार्ता में शामिल हुए।
 

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