तीन महीने बाद हॉकी खिलाड़ियों को मिला ब्रेक  

भारतीय पुरुष और महिला हॉकी टीम के खिलाड़ी अभी एक महीने के ब्रेक के कारण अपने-अपने घरों में पहुंच गये हैं। यह सभी अभी खुश हैं और अपने परिजनों के साथ आराम के क्षण बिता रहे हैं। 
महिला हॉकी टीम की कप्तान रानी रामपाल भी अपने घर लौटने से बेहद खुश हैं। रानी ने कहा, ‘लॉकडाउन के दौरान मैं परिवार से मिलने को बेचैन थी। मैं बहुत खुश हूं कि मैं आखिरकार यहां हूं और उनके साथ कुछ दिन बिता सकती हूं।’ रानी सहित पूरी टीम को पिछले तीन महीने से लॉकडाउन के कारण साई परिसर में ही रहना पड़ा था। अब सभी को एक माह का ब्रेक दिया गया है ताकि वह अपने परिवार से मिल सकें। 
उन्होंने कहा, ‘निश्चित रूप से, इसके लिए मैं हॉकी इंडिया और साई की बहुत आभारी हूं, जिन्होंने हमारी बहुत देखभाल की। अब मेरा ध्यान घर पर भी अपनी फिटनेस बनाए रखने पर रहेगा।
वहीं भारतीय पुरुष हॉकी टीम के कप्तान मनप्रीत ने कहा, ‘परिवार के लिए घर लौटना एक बहुत अच्छा अहसास था। भले ही मैं वीडियो कॉल पर लगातार संपर्क में था, पर मैं वास्तव में इनकी कमी का अनुभव करते हुए घर वापस आने के लिए उत्सुक था। अब मैं कह सकता हूं कि घर वापस आना बहुत अच्छा लगा।’
पुरुष टीम के ही फॉरवर्ड मनदीप सिंह ने कहा, ‘जब मैंने घर में कदम रखा तो ऐसा लगा कि अभी ही दुनिया में आया हूं। मैं काफी समय बाद घर लौटा हूं, इसलिए अपने परिवार से मिलना और उनके साथ समय बिताना अच्छा होगा।’
इन सभी खिलाड़ियों को अगले माह 19 जुलाई को फिर से अभ्यास के लिए साई परिसर पहुंचना होगा जिससे आगामी टोक्यो ओलंपिक के लिए फिर अभ्यास शुरु किया जा सके। 
लॉकडाउन के दौरान प्रेरणादायी किताबें पढ़ी : श्रीजेश
भारतीय पुरुष हॉकी टीम के गोलकीपर पीआर श्रीजेश आजकल ब्रेक के दौरान अपने घर में  हैं। श्रीजेश ने कहा कि कोरोनावायरस महामारी के कारण लॉकडाउन के चलते दो महीने से अधिक समय तक भारतीय खेल प्राधिकरण (साई) के बेंग्लुरु केंद्र में रहने के कारण वह और कई और खिलाड़ी मानसिक रूप से कमजोर हो रहे थे और अपने को प्रेरित रखने के लिए उन्होंने इस दौरान ‘प्रेरणादायी’ किताबें पढ़ी। श्रीजेश ने कहा, ‘यह काफी मुश्किल समय था क्योंकि हमारी जीवनशैली पूरी तरह से बदल गई थी। ऐसे में अपने विचारों में संतुलन बनाना था।’
श्रीजेश ने माना कि लॉकडाउन के दौरान नकारात्मक विचारों को दूर रखना मुश्किल था पर वह अमेरिकी ट्रायथलीट जोआना जीगर की ‘द चैंपियन्स माइंडसेट- एन एथलीट्स गाइड टू मेंटल टफनेस’ किताब पढ़कर मानसिक रूप से मजबूत रह पाए। उन्होंने कहा, ‘एक तरफ तो मुझे घर की याद आ रही थी और दूसरी तरफ मैं परिजनों को घर जाकर खतरे में नहीं डालना चाहता था क्योंकि यात्रा के दौरान वायरस से संक्रमित होने का खतरा था।’
श्रीजेश ने कहा, ‘इसलिए शांति के लिए मैंने किताबों का सहारा लिया। लॉकडाउन के दौरान मैंने काफी किताबें पढ़ी, फिक्शन, नॉन फिक्शन से लेकर प्रेरणादाई किताबें। इसने मुझे अलग तरह से सोचने में मदद की। चैंपियन्स माइंडसेट ऐसी किताब है जो मैंने दोबारा पढ़ी।’ श्रीजेश अभी 14 दिन के लिए अब अपने घर में ही पृथकवास में हैं और इसके बाद ही अपने बच्चों के साथ खेल पाएंगे और घर से बाहर निकल पाएंगे। 
 

Leave a Reply