दागी नेताओं के चुनाव लड़ने पर आजीवन रोक लगे: EC; SC बोला- स्पेशल कोर्ट बने

नई दिल्ली.दागी नेताओं और ब्यूरोक्रेट्स के खिलाफ पेंडिंग केसों के जल्द निपटारे के लिए सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को स्पेशल कोर्ट बनाने का ऑर्डर दिया, ये फास्ट ट्रैक कोर्ट की तर्ज पर काम करेगा। वहीं, इलेक्शन कमीशन ने सुनवाई के दौरान कहा कि किसी आपराधिक मामले में दोषी पाए जाने पर सांसदों और विधायकों के चुनाव लड़ने पर आजीवन रोक लगाई जानी चाहिए। बता दें कि बीजेपी नेता अश्विनी उपाध्याय की पिटीशन पर कोर्ट सुनवाई कर रहा है। इसमें दागी नेताओं के चुनाव लड़ने पर रोक और नेताओं-ब्यूरोक्रेट्स से जुड़े मामलों की सुनवाई के लिए स्पेशल कोर्ट बनाने की मांग की गई है। कोर्ट ने पूछा- पिछले तीन साल में कितने केस दर्ज हुए…

– केंद्र ने कहा कि ईसी और लॉ कमीशन ने दोषी पाए जाने पर नेताओं के चुनाव लड़ने पर आजीवन रोक लगाने की सिफारिश की है। सरकार इस पर विचार कर रही है।

– कोर्ट ने सरकार से पूछा, ''2014 के आंकड़ों के मुताबिक, 1581 सांसदों-विधायकों पर आपराधिक केस हैं। एक साल में कितने केसों में आरोपियों को सजा सुनाई गई और कितने बरी हुए।'' 

– इसके साथ ही कोर्ट ने 2014 से 2017 के बीच नेताओं के खिलाफ दर्ज हुए आपराधिक मामलों और उनके निपटारे को लेकर जानकारी मांगी है। कोर्ट ने केंद्र को ऐसे मामलों की सुनवाई के लिए स्पेशल कोर्ट बनाने का ऑर्डर दिया। पूछा कि इसके लिए कितने फंड की जरूरत होगी।

कल सुनवाई के दौरान क्या हुआ?

-जस्टिस रंजन गोगोई और जस्टिस नवीन सिन्हा की बेंच के सामने मंगलवार को पिटीशनर अश्विनी उपाध्याय की ओर से वकील कृष्णन वेणुगोपाल ने दलीलें रखीं। इस दौरान दिनभर सुनवाई चली। कोर्ट ने दागी नेताओं पर सख्त रुख दिखाते हुए पूछा कि कितने नेताओं पर आपराधिक मामले पेंडिंग हैं? नेताओं को दोषी करार देने की दर क्या है? कोर्ट रूम से लाइव…

– वेणुगोपाल:सुप्रीम कोर्ट ने नेताओं के खिलाफ आपराधिक मामलों का ट्रायल एक साल में पूरा करने का ऑर्डर दिया था। पर उस पर अमल नहीं हुआ। ऐसे मामलों के लिए फास्ट ट्रैक कोर्ट बनाए जाने के ऑर्डर भी नहीं दिए गए थे।

– जस्टिस गोगोई:क्या आपके पास कोई ऐसा डेटा है, जिससे पता चले कि देशभर के ट्रायल कोर्ट और हाईकोर्ट में कितने सांसदों-विधायकों के खिलाफ केस पेंडिंग हैं। कितनों पर स्टे है? 

– वेणुगोपाल: नेशनल ज्यूडिशियल डेटा ग्रिड और इलेक्शन कमीशन के पास मौजूद डेटा के आधार पर हम एफिडेविट दायर कर देंगे। 

– जस्टिस गोगोई:हमें नहीं लगता कि कमीशन से डेटा मिलना आसान होगा। केस तो लोअर कोर्ट और अलग-अलग हाईकोर्ट में पेंडिंग हैं। 

– वेणुगोपाल:एक अनुमान के तौर पर 34% सांसदों का आपराधिक रिकॉर्ड है। दागियों के चलते चुनाव की पवित्रता से समझौता हो रहा है। पार्टियां भी दागियों को बढ़ावा देती हैं, क्योंकि इनके पास खूब पैसा होता है और वह पार्टी के लिए वोट डलवा सकते हैं। इनके चुनाव लड़ने पर आजीवन रोक लगाना ही सही होगा। 

– जस्टिस गोगोई:चुनावों में पवित्रता के लिए आपकी बेचैनी हम समझ सकते हैं। क्या आपको लगता है कि नेता के खिलाफ ट्रायल एक साल से लंबा चलने से कोई रुकावट पैदा होगी। अगर किसी जज पर आरोप तय होते हैं या एफआईआर होती है तो उसके साथ क्या होता है? 

– वेणुगोपाल: जजों के लिए काफी सख्त और हाई स्टैंडर्ड के पैरामीटर बनाए गए हैं। अगर जजों के साथ ऐसा हो सकता है तो नेताओं के साथ क्यों नहीं? अगर किसी नेता को अदालत दोषी ठहराती है तो उसके राजनीति करने पर पूरी तरह रोक लगानी चाहिए। आजीवन रोक की मांग इसलिए कर रहे हैं, क्योंकि ऐसे लोगों के खिलाफ सुनवाई पूरी नहीं हो पा रही है।

पार्टियों में कितने दागी MP-MLA?

– एसोसिएशन ऑफ डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) के आंकड़ों के मुताबिक, बीजेपी के 523, कांग्रेस के 248 और आप के 26 सांसद-विधायक दागी हैं।

-20% पर मर्डर, रेप और मर्डर की कोशिश जैसे केस हैं। 190 पर हत्या की कोशिश, 87 पर मर्डर, 64 पर किडनैपिंग और 52 के खिलाफ महिलाओं से जुड़े अपराधों में केस चल रहे हैं।

– एडीआर ने 4,896 सांसदों-विधायकों में से 4,852 के चुनावी हलफनामों के आधार पर रिपोर्ट दी थी। इनमें से 1,581 के खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज हैं।

– 543 लोकसभा सांसदों में से 184 (34%), 231 राज्यसभा सांसदों में से 44 (19%), 4078 विधायकों में से 1,353 (33%) के खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज हैं।

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