देश-विदेश में अपनी कला का जलवा दिखाने वाले लोक कलाकार 2 वक्त की रोटी को तरसे

जोधपुर. देश-विदेश में अपने हुनर का लोहा मनवाने वाले प्रदेश के कालबेलिया और लंगा कलाकारों (Kalbelia and Langa Artists) पर कोरोना का ग्रहण ऐसा लग गया है कि इनके परिवारों की दो जून की रोटी भी नसीब नहीं हो पा रही है. गत डेढ़ बरस से कोरोना संक्रमण (Corona infection) के चलते बेहद कम शादियां हो रही हैं. जो शादियां हो भी रही है वों बहुत साधारण तरीके से हो रही हैं. वहीं अन्य कोई बड़े समारोह भी नहीं हो रहे हैं जहां ये कलाकार अपनी कला का हुनर दिखाकर कुछ पैसे कमा सके.

पश्चिमी राजस्थान में निवास करने वाले कालबेलिया, लंगा और मांगणियार कलाकारों ने अपनी कला से दुनियाभर में प्रदेश की साख बढ़ाई है. लेकिन कोरोना संक्रमण ने इनकी कला को ग्रहण लगा दिया है. शादियां और बड़े समारोह के अभाव में जोधपुर, बाड़मेर तथा जैसलमेर में सैंकड़ों लोक कलाकारों के सामने परिवार के पालन पोषण का संकट खड़ा हो गया है. डेढ़ बरस से ये कलाकार अपनी बस्तियों में कैद होकर रह गये हैं.

ना पर्यटक ना शादियां इसलिए संकट में कलाकार

जोधपुर शहर में हर साल दस लाख से ज्यादा विदेशी पर्यटक आते थे. उनके मनोरंजन के लिए हर होटल और गेस्ट हाउस में कालबेलिया तथा लंगा कलाकरों को रोजाना काम मिल जाता था. होटल और गेस्ट हाउस में रोजाना शाम को ये कलाकार विदेशी मेहमानों के सामने अपनी कला का प्रदर्शन करते थे. लेकिन कोरोना ने ऐसी स्थिति पैदा कर दी है कि विदेशी मेहमान छोड़ देशी पर्यटक भी जोधपुर नहीं आ रहे हैं. ऐसे में कालबेलिया और लंगा कलाकारों पर आर्थिक संकट आन पड़ा है.

इसलिये हुये ज्यादा मोहताज

कोरोना की पहली और दूसरी लहर के चलते शादी समारोह पर भी रोक लग गई. अब महज 11 लोग शादी सम्पन्न करवाने लगे हैं. ऐसे में इन कलाकरों को यह छोटा मोटा काम भी नहीं मिल रहा है. कालबेलिया बस्ती में रहने वाली सुआ देवी ने बताया कि कोरोना की पहली लहर में तो कई संस्थाओं ने खाना व रसद सामग्री की मदद की थी, लेकिन इस बार कोई मदद भी नहीं मिल रही है. उन्होंने बताया कि जोधपुर में 52 कालबेलिया परिवार के 150 से अधिक सदस्यों की रोटी का जुगाड़ भी मुश्किल हो गया है. उन्होंने राज्य सरकार से मदद की अपील की है.
 

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